eBook Title : पक्षियों के नाम
Pages : 105
Size : 550 KB
Collected by : Msih.in
Updated : 22 July, 2020
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बंदरों ने सिखाया मनुष्यों को हंसना (रोचक जानकारी) : हमारी हंसी आई कहां से? अगर एक अध्ययन पर विश्वास करें तो इंसान का यह व्यवहार तब से शुरू हुआ जब वह अपने पूर्वज बंदर से अलग हुआ।
अन्तर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम के अनुसार हंसी इंसानों द्वारा नहीं बनाई गई बल्कि यह तो बंदरों ने विकसित की है। क्योंकि उनके पास समझ और दूसरों की नकल करने की योग्यता थी जो इस व्यवहार के लिए बहुत जरूरी है।
'पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय' के मुख्य शोधकर्ता 'डॉ. मरीना डेविला राॅस' ने कहा कि यह नतीजे समूह में रहने वाले जानवरों की समझ और उसकी महत्ता से जुड़ी नई जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ नया प्रकाश भी डालते हैं।
सकारात्मक भावनाएं मनुष्यों के पहले की हैं। अब चूंकि बंदर मनुष्यों से पहले आए और उनमें हंसने-हंसाने का भाव था इसलिए मनुष्यों ने बंदरों से ही हंसना सीखा।
यह शोध बंदरों के प्रवास के लिए बने चार केन्द्रों के 25 बंदरों के समूह की भाव-भंगिमाओं के अध्ययन के बाद सामने आया। शोधकर्ताओं ने देखा कि अपने साथ की कुछ बातों की प्रतिक्रिया बंदरों ने उस भाव से व्यक्त की जो लगभग हंसने के समान थी। डां. राॅस ने बताया कि इस प्रतिक्रिया के लगभग आधे सेकंड बाद ही उसके साथी ने भी वैसी ही प्रतिक्रिया दी। यह शायद उनकी नकल करने की आदत थी।
बाघों की दहाड़ बन जाएगी इतिहास : अगर बाघों की संख्या इसी तरह कम होती रही तो बाघ एक इतिहास बन जाएंगे। विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि बाघ बड़े मांसाहारी जानवरों की वह पहली प्रजाति है जो इस धरती से समाप्त होने के नदीक है। रिपोर्ट के अनुसार अगर बाघों को सुरक्षा प्रदान करनी है तो दुनिया में इनके शिकार को रोकना होगा। इसके अलावा आर्थिक संसाधन और एक ठोस नीति बनाने की भी जरूरत होगी।
धरती के अलग-अलग हिस्सों में रह रही बाघों की आबादी 7% के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। अगर बाघों के साथ यही होता रहा तो बाघ बड़े मांसाहारी जानवरों की पहली प्रजाति होगी जिसे किताबों में ही देखा जा सकेगा। विश्व बैंक अधिकारियों ने यह बात जानवरों के संरक्षण के लिए काम करने वालों के सम्मेलन में कही।
विश्व बैंक ने कहा है कि खाद्य श्रृंखला में बाघ सबसे ऊपर हैं उनको बचाने के लिए उनके प्राकृतिक रहवासों को खत्म होने से बचाना अत्यंत जरूरी हैं।