यहाँ हम विद्यार्थीयों के लिए 3 प्रेरक कहानियों का संकलन प्रस्तुत कर रहे हैं। Hope आप इन छोटी-छोटी कहानियों से कुछ सीखेगें और अपने जीवन में कुछ बदलाव लाने का प्रयास करगें।
1. धूर्त साहूकार और चालाक लड़की
बात बहुत समय पहले की हैं। एक किसान को अपनी बुरी आर्थिक स्थिति से हार मानकर गांव के ही एक साहूकार से क़र्ज लेना पड़ा, लेकिन काफी वक्त बीत जाने पर भी वह साहूकार का ऋर्ण नहीं चुका पाया। गाँव का वह साहूकार बुढ़ा और देखने में बदसूरत था। उसके अनुचित स्वभाव के कारण गांव में उसे कोई पसंद नहीं करता था।
किसान के परिवार में उसके और उसकी एक बेटी के सिवा और कोई नहीं था। उसकी लड़की बहुत ही सुन्दर और अच्छे स्वभाव की थी। किसान ने उसे बड़े ही लाड़-प्यार से पाला था। वह अपने पिता के साथ ही खेतों में काम करती। पर एक दिन उस बूढ़े साहूकार की नज़र उसकी खुबसूरत लड़की पर पड़ी और वह उस पर मोहित हो गया। वह मन ही मन उससे विवाह करने की सोचने लगा।
लेकिन उसे पता था कि किसान अपनी लड़की का विवाह उससे कभी नहीं करेगा और उसे यह भी मालूम था कि किसान इस समय ऐसी स्थिति में नहीं है कि उसका क़र्ज चुकता कर सके। इन सारी बातों को मन में रख वह स्वयं ही एक दिन किसान के खेत की ओर जाने वाले रास्ते पर जा पहुंचा, रास्ता छोटे-छोटे कंकड़-पत्थरों और रोड़ियों से भरा पड़ा था। वह किसान और उसकी बेटी दोनो वही पर थे। उसने किसान से क़र्ज के विषय में बात करते हुए उसके सामने एक शर्त रखी। शर्त यह थी कि - 'अगर उसने अपनी लड़की का विवाह उससे कर दिया, तो वह उसके सारे ऋण माफ़ कर देगा वो भी ब्याज़ सहित।' साहूकार की इस अजीबों-गरीब शर्त से किसान और उसकी बेटी भयभीत हो गये।
उस धूर्त साहूकार ने आगे सुझाव देते हुए दोनों से कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं। इस शर्त का फैसला न मैं करूंगा न आप। इसे आप अपने भाग्य पर छोड़ दे। इतना कहते हुए उसने अपनी ज़ेब से एक पैसे की खाली पोटली निकाली और उसे दिखात हुए कहा कि मैं इसमें एक काले रंग का और एक सफ़ेद रंग का कंकड़ रखूंगा। उसके बाद तुम्हारी लड़की को बिना देखे इस पोटली से एक कंकड़ निकालना होगा और यहाँ शर्त यह रहेगी कि -
- अगर उसने काले रंग के कंकड़ को निकाला तब उसे मुझसे विवाह करना होगा और तुम्हारे क़र्ज भी माफ़ कर दिये जाएंगे।
- अगर तुम्हारी लड़की ने सफ़ेद रंग के कंकड़ को निकाला तो इसे मुझसे विवाह नहीं करना होगा और फिर भी क़र्ज माफ़ कर दिये जाएंगे।
- लेकिन अगर इसने कंकड़ निकालने से मना कर दिया तो फिर तुम्हें जेल के सलाखों के पीछे जाना होगा।
जैसे ही किसान और उसकी लड़की उसकी इस शर्त पर आपस में बात करने लगे, तभी साहूकार अचानक कंकड़ों को उठाने के लिए नीचे झुका। उसने जैसे ही दो कंकड़ों को उठाया उसी समय किसान की लड़की कि नज़र उस पर पड़ गई। उसने देखा कि साहूकार ने दो काले कंकड़ ही पोटली में रख दिये। जबकि नियम के अनुसार होना यह चाहिए था कि वह एक काले रंग का और दूसरा सफ़ेद रंग का कंकड़ खाली पोटली में रखता। खैर, उसके बाद साहूकार ने लड़की को पोटली से एक कंकड़ निकालने के लिए कहा।
दोस्तों, अब आप कुछ देर के लिए ऐसा महसूस करें कि उस लड़की कि जगह आप उस कंकड़-पत्थर वाले रास्ते पर खड़े है। उस परिस्थिति में आप अगर एक लड़की होते तोे क्या करते? अगर आपको उस लड़की को कुछ सुझाव देना होता तो क्या देते?
मुझे लगता है कि अगर हम इस पर ध्यानपूर्वक विचार करे तो हमारे सामने तीन संभावनाएं निकलकर आती हैं-
- पहली बात यह हो सकती है कि, लड़की को कंकड़ निकालने से बिल्कुल मना कर देना चाहिए।
- दूसरी बात यह हो सकती है कि, लड़की को थोड़ा साहस दिखाते हुए यह बता देना चाहिए कि उस पोटली में दोनों कंकड काले ही हैं जिससे साहूकार की धूर्तता की पोल खुल जाती।
- या तीसरा विकल्प यह हो सकता है कि, लड़की साहूकार की धूर्तता के बारे में जानते हुए भी काले रंग के कंकड़ को निकाले और अपने आप को sacrifice कर दे, ताकि उसके पिता ऋण से मुक्त हो जेल जाने से बच जाए।
यह कहानी इस उम्मीद से लिखी गई हैं कि हम पारंपरिक सोच के ढ़ंग (traditional logical thinking) और आज की logical
thinking में अंतर बता सके। उस लड़की कि इस दुविधा को हम traditional logical thinking से solve नहीं कर सकते।
तो चलिए हम ही बता देते हैं कि आगे उस लड़की ने क्या किया।
किसान की लड़की ने साहूकार के कहे अनुसार ही पोटली से एक कंकड़ निकाला और उसे बिना देखे हुए, जानबुझकर कंकड़-पत्थरों से भरे रास्ते पर धिरे से उछाल दिया। जिससे जल्द ही वह काले रंग का कंकड़ भी अन्य कंकडों में मिल गया।
उसके बाद उस लड़की ने झूठा खेद व्यक्त करते हुए कहा - 'ओ, मैं कितनी लापरवाह हूं!'
साहूकार इस बात ले लड़की पर थोड़ा क्रोधित हुआ लेकिन फिर उस लड़की ने मामला संभालते हुए आगे कहा कि चिंता न करे, अगर आप पोटली खोलकर देखें कि उसमें कौन से रंग का कंकड़ बचा हुआ है तो यह साफ हो जाएगा कि मैंने कौन सा कंकड़ निकाला था, काला या सफ़ेद ?
हालांकि, यह तो निश्चित था की बचा हुआ कंकड़ काले रंग का ही होगा। क्योंकि जैसा कि आप जानते ही है साहूकार ने पोटली में दोनों ही कंकड़ काले ही रखे थे। तो इस प्रकार यह सिद्ध हो गया कि लड़की ने सफ़ेद कंकड़ निकाला है। अब साहूकार चाह कर भी अपनी बेईमानी और धूर्तता को प्रकट नहीं कर सकता था। इस तरह उस लड़की ने बड़ी चालाकी से अपने विरूद्ध खड़ी परिस्थिति को अपने पक्ष में कर लिया।
तो, इस कहानी से आपने क्या सीखा? So, What is the moral of this story?
दोस्तों, इस कहानी से हम आपको यह बताना चाहते थे कि, समस्या चाहे कितनी भी जटिल क्यों न हो, हम उसके बारे में सोचने और उसे सुलझाने के तरीकों को बदलकर उसका सामाधान आसानी से निकाल सकते है।
"Most complex problems may have a simple solution. Just change the way you think about them."
2. आप खास है - You are Unique
एक जाने माने वक्ता अपने हाथों में 500रू. का नोट लिए सेमिनार हॉल में प्रवेश करते है। उस सेमिनार हॉल में लगभग 200 लोग बैठे हुए थे। उन्होंने 500 रू का नोट सभी को दिखाते हुए पुछा - 'कौन-कौन इस 500रू. के नोट को लेने की इच्छा रखता है?'
हॉल में मौजूद लोगों के हाथ धीरे-धीरे उठने लगे।
उन्होंने कहा, 'मैं आप ही लोगों में से किसी एक को यह 500रू. का नोट देने वाला हूं, लेकिन पहले आप मुझे ये कर लेने दीजिए' यह कहकर उन्होंने नोट को मोड़-तरोड़ दिया।
उसके बाद उन्होंने पूछा - 'इसे अब भी कौन लेना चाहता है?' अभी भी लगभग सारे हाथ ऊपर थे।
'ठीक है' उन्होंने कहा। 'क्या होगा अगर मैं ये करूं?' ये कहकर उन्होंने 500रू. के नोट को फर्श पर गिरा दिया और उसे अपने जूते से रगड़ने लगे।
कुछ देर बाद उन्होंने उसे दुबार हाथ में लिया, लेकिन अब वह नोट बुरी तरह तुड़-मुड़ और गंदा हो गया था। फिर उन्होंने लोगों से पूछा - 'इसे अब भी कौन लेना चाहता है?' इस बार भी लगभग सभी लोगों के हाथ खड़े थे!
''
मेरे दोस्तों, आज आप सभी ने बहुत ही बहुमूल्य चीज सीखा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैंने इस नोट के साथ क्या किया। आप इसे अब भी लेना चाहते है, क्योंकि इससे अब भी इसका मूल्य घटा नहीं है। यह अब भी 500 रू ही है। यही चीज हम सभी के साथ होती है। कई बार हम अपने जीवन में गिरते हैं, कठिनाईयों से लड़ते-लड़ते थक जाते है। अपने गलत निर्णयों से भारी मुसीबतों का सामना करते है। इन सारी परिस्थितियों से जूझ कर हम अपने आपको मूल्यहीन और बेकार समझने लगते है लेकिन इसका कोई अर्थ नहीं है कि हमारे जीवन में क्या हो चुका है और भविष्य में क्या होगा, आप अपना महत्व कभी नहीं खो सकते। आप खास है - इसे आप कभी न भूले।''
अंत में हम यहाँ इस संकलन को एक और लधु-शिक्षाप्रद कहानी के साथ खत्म कर रहे है। आशा है, यह कहानी आपमें एक बड़ा बदलाव लाएगी।
3. ग्लॉस को नीचे रख दीजिए - Put the glass down!
एक प्रोफेसर अपनी क्लास की शुरूआत अपने हाथ में एक ग्लॉस लिये करते है। जिसमें आधा पानी भरा रहता है। वे ग्लॉस को थोड़ा ऊपर करते है ताकि सभी ेजनकमदजे उसे अच्छी तरह देख सके। उसके बाद वह विद्यार्थीयों से पूछते है - 'आप लोगों के हिसाब से इस ग्लॉस का वज़न कितना होगा?'
'50gms' , ‘100gms’ , ‘125gms’ - लगभग सभी विद्यार्थीयों ने अलग-अलग उत्तर दिया।
'वास्तव में, मैं इसका सही वज़न तब तक नहीं बता सकता जब तक कि मैं इसका वजन न कर लूं।'
'लेकिन, मेरा प्रश्न यह है कि: क्या होगा, अगर मैं इसे इसी तरह कुछ मिनटों के लिए, ऊपर उठाए रखूं?'
'कुछ नहीं' - student ने कहा।
'ठीक है, क्या होगा अगर मैं इसे इसी तरह एक घंटे के लिए पकड़े रखूं?' - प्रोफेसर ने कहा
'आपके बाजू में दर्द शुरू हो जाएगा' - एक विद्यार्थी ने कहा
'तुम बिल्कुल सही हो, अब बताओ, क्या होगा अगर मैं इसे इसी तरह एक दिन तक पकड़े रखूं?'
'हो सकता है...आपका यह बाजू सून्न हो जाए। बाजू की मांशपेशियों में strain उत्पन्न हो जाए और आपका हाथ paralyse हो जाए फिर अंत में आपको अस्पताल में admit करना पड़े!'
एक दूसरे लड़के ने थोड़े मस्ती भरे अंदाज में कहा। इस पर सभी छात्र हँसने लगे।
'बहुत अच्छा, लेकिन क्या इन सबके दरम्यान इस ग्लॉस का वज़न कम हो गया?' - प्रोफेसर ने पूछा।
'नहीं' - सभी का उत्तर था।
'तब बाजू में दर्द और muscles stern के क्या कारण थे?' - प्रोफेसर ने कहा
विद्यार्थी थोड़ा उलझन में पड़ गए।
'तो अब मुझे दर्द से राहत पाने के लिए क्या करना चाहिए?' - प्रोफेसर ने दुबारा पूछा
'ग्लॉस को नीचे रख दीजिए - PUT THE GLASS DOWN!' - उनमे से एक विद्यार्थी ने कहा
'बिल्कुल' - प्रोफेसर ने खुश होते हुए कहा
जीवन की समस्याएं भी कुछ इसी ही तरह की हैं।
कुछ मिनटों के लिए उन्हें दिमाग में रखिए, तब तक तो ठीक है।
कुछ घंटों तक उनके बारे में सोचते रहिए, तो वे दर्द देना शुरू कर देगीं।
लेकिन अगर आप कुछ दिनो तक उनके बारे में सोचते रहिए तो वे आपको लकवे से ग्रस्त कर देगीं। उसके बाद आप कुछ भी करने योग्य नहीं रहिएगा।
दोस्तों, ये महत्वपूर् है कि आप अपने जीवन की चुनौतियों और समस्याओं के बारे में सोचे लेकिन उससे भी जरूरी बात यह है कि प्रतिदिन दिन के अंत में सोने जाने से पहले उन्हें नीचे रख दे, मतलब आप उनके बारे कुछ न सोचे। इस तरह आप अपने आप को तनाव मुक्त महसूस करगें और हर नई सुबह फिर नये CHALLENGE और ISSUE का मजबुती से मुकाबला कर पाएंगे।