दोस्तों, यहाँ मैं आपके साथ ऐसी छोटी-छोटी प्रेरक कहानियाँ शेयर कर रहा हूँ, जो आपको लाइफ की प्रॉब्लमस को फेस कर मजबूती से आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करेंगी। और हाँ! इन्हीं कहानियों के अंत में मैंने एक PDF ई-बुक 'सफलता के 16 मंत्र' डाउनलोड करने के लिए दिया है। इसे एक बार डाउनलोड कर जरूर पढ़े। इसे अभी तक 60,000+ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर पढ़ चुके हैं।
Table of Contents :
1. हर किसी की एक कहानी होती है
24 साल का एक लड़का काफी देर से ट्रेन की खिड़की से बाहर देख रहा था। अचानक उसने जोर से चिल्ला कर कहा....
'पिता जी, वो देखिये कैसे सारे पेड़ हमारे पीछे भाग रहे हैं!'
अपने बच्चे के इस नादानी पर उसके पिता जी मुस्कुरा दिए।
उसके पिता के पास ही बैठे एक दंपती बच्चे के इस व्यवहार पर हैरान थे और उन्हें उस 24 वर्ष के लड़के पर दया आ रही थी।
कुछ समय के बाद वह लड़का फिर खुशी से चिल्लाया - 'देखो पिताजी, बादल हमारे साथ चल रहे है!'
इस बार उस दंपती से रहा नहीं गया और उन्होंने उस लड़के के पिता से कहा - 'आप बच्चे को किसी अच्छे डॉक्टर के पास क्यों नहीं ले जाते?'
इस पर उन्होंने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा - 'हां मैंने इसे एक अच्छे डॉक्टर से दिखलाया। हम अभी अस्पताल से ही आ रहे है। दरअसल, मेरा बेटा जन्म से ही अन्धा था और आज ही उसको आंखे मिली है। वह आज पहली बार इस रंग-बिरंगी दुनिया को देख रहा है।'
दोस्तों, दुनिया के हर इंसान की अपनी एक कहानी होती है। कुछ कहानियाँ अपने में खुशियाँ समेटे होती है, तो कुछ दुःख। इसलिए जब तक आप किसी व्यक्ति के बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं रखते तब तक आप उसके व्यवहार के बारे में निर्णय न करे। हो सकता है कि जो आपके सामने दिख रहा हो वह पूर्ण सत्य न हो, उसके पीछे भी कोई कहानी हो!
2. अपनी समस्याओं से जुझना सीखिए
एक दिन एक आदमी का सबसे पसंदीदा गधा अचानक चट्टानों के बहुत बड़े और गहरे गढ़े में गिर गया। उसने उसे निकालने की लाख कोशिश कि, कई तरीके अपनाए लेकिन वह गधे को गढ़े से बाहर नहीं निकाल पाया। अंत में उसने फैसला किया कि वह उसे उसी गढ़े में जिन्दा दफ़ना देगा।
फिर क्या था। गधे को जिन्दा दफ़नाने के लिए उसने उपर से उसपर मिट्टी डालना शुरू कर दिया। जब उस पर मिट्टी डाली जाती, तब वह अपने ऊपर भार महसूस करता और इससे निजात पाने के लिए वह अपने शरीर को हिला अपने ऊपर से मिट्टी हटा उसे नीचे गिरा देता और उसी पर खड़ा हो जाता। इस तरह वह आदमी ऊपर से जितनी मिट्टी डालता वह हमेंशा वही काम करता। मिट्टी नीचे गिरा उस पर खड़ा हो जाता। इस तरह उस पर जितनी मिट्टी डाली जाती वह उतना उपर आते जाता। दोपहर तक वह गधा गढ़े से बाहर था और चरागाह में हरे-हरे घास खा रहा था!
आप जानते है। हमारी जिन्दगी भी कुछ ऐसी ही है, इसमें कठिनाईयाँ तो आती ही रहती हैं। हमारा काम है उनका सामना करना उनको shake करना और उन पर जीत हासील कर फिर से खड़े हो जाना। बिल्कुल गधे की तरह।
3. हाथी की रस्सी
एक आदमी हाथियों के पास से गुजरते हुए उन्हें देखकर अचानक रूक गया। वह इस बात से उलझन में था कि इतने विशाल और ताकतवर जीव के सिर्फ आगे के एक पैर में एक पत्ली रस्सी बांध कर कैसे रखा जा सकता है! न कोई लोहे की chain, न कोई पिंजरा। जबकि उसे इस बंधन से मुक्त होने में शायद एक सेकेंड का वक्त भी न लगे और वे इसे एक झटके में तोड़कर आज़ाद हो जाए।
वह आदमी सोचने लगा - ‘इसका कारण, कुछ तो जरूर होगा? जो वो ऐसा नहीं करते।‘
उसने वही हाथियों के trainer को खड़ा पाया और उससे पूछा - ‘ऐसा क्यों है कि ये जानवर यहां इतनी शांति से खड़े है और यहां से भागने या अपने को आज़ाद करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं?‘
तब trainer ने कहा - ‘जब ये बहुत young और छोटे थे, उस समय भी हम इसी तरह की रस्सी का प्रयोग इन्हें बांधे रखने के लिए करते थे। वह उस समय इससे छुटकारा पाना के लिए बहुत प्रयास करते लेकिन वह सफल नहीं हो पाते। उस वक्त इतनी बड़ी रस्सी उन्हें बांधे रखने के लिए काफी थी लेकिन वे जैसे-जैसे बड़े होने लगे उनके दिमाग में यह बात बैठ गई कि वह कितनी भी कोशिश कर ले वह इस बंधन को तोड़ नहीं सकते और यही मनोदशा बड़े होने पर भी उनमें बनी रहती हैं। इसलिए वह कभी इसे तोड़ने का प्रयास नहीं करते। क्योंकि उन्हें अब भी यही लगता है कि वे इससे छुटकारा नहीं पा सकते।‘
Trainer कि ये बाते सुनकर वह आदमी बहुत ही आश्चर्यचकित हुआ और मन ही मन सोचने लगा ये जानवर इस बंधन से किसी भी वक्त छुटकारा पा सकते हैं लेकिन अपने mindset की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाते!
Friends, हम में से कितने ही लोग पूरी life हाथियों कि ही भांति यह सोचते हुए बिता देते है कि हम कुछ नहीं कर सकते, और वो सिर्फ इसलिए की हम अपने पहले के एक प्रयास में असफल हो गए रहते है।
पहली बार किसी काम में असफल होना स्वभाविक है। किसी काम में सफल न होना सीखने कि एक प्रक्रिया। हमें अपनी पूर्व कि गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए। हाथी की तरह हार मानकर प्रयास करना ही नहीं छोड़ देना चाहिए।
4. आलू, अंड़े और Coffee Beans
एक बेटी ने अपने पिता से शिकायत की कि उसकी जिंदगी बहुत ही दयनीय होती जा रही है और उसे यह समझ नहीं आ रहा कि वह इसे कैसे बेहतर बनाए। वह दिन-प्रतिदिन कि समस्याओं से लड़ती और संघर्ष करने का प्रयास करती हैं लेकिन उसे सुलझा नहीं पाती। ऐसा प्रतीत होता है कि एक समस्या सुलझती है तो दूसरी समस्या उसके लिए तैयार रहती है।
उसके पिता, जो रसोइया थे, उसे एक kitchen में ले गए। उन्होंने तीन बर्तनों को लिया और उसमें पानी भर कर तेज़ आँच (high fire) पर उबलने के लिए रख दिया। जब तीनों बर्तनों का पानी उबलने लगा तब उन्होंने पहले बर्तन के उबलते पानी में आलू डाले, दूसरे में अंड़े और तीसरे में Coffee Beans.
वे अपनी बेटी से बिना एक शब्द भी बोले उसी kitchen में बैठ गए। बेटी वही रोनी आवाज में शिकायत कर रही थी और बड़ी बेसर्बी से इंतजार करते हुए देख रही थी कि आखिर उसके पिता कर क्या रहे है?
20 मिनट बाद उन्होंने burner को बंद कर दिया। उसके बाद उन्होंने बर्तन से आलूओं को निकालकर एक कटोरे में रखा और अंड़ों को दूसरे कटोरे में।
Coffee को एक बड़े चम्मच से निकालकर एक बनच में डाल दिया। उसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की ओर देखते हुए कहाँ - 'बेटी, तुमने क्या देखा?'
'आलू, अंड़े और कॉफी,' उसने तुरन्त उत्तर दिया।
'ध्यान से देखो,' पिता ने कहा, 'और आलूओं को छूओ'। उसने ऐसा ही किया और अनुभव किया कि आलू मुलायम हैं। उसके बाद उन्होंने एक अंड़ा लेकर उसे तोड़ने को कहा। जब उसने अंड़े के बाहरी छिलके को हटा उसे छुआ तो वह अंदर में कठोर रूप से उबला हुआ महसूस हुआ। अंत में पिता ने उसे कॉफी पीने के लिए कहा। उसने जब कॉफी पी तो उसकी खुशबू ने उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
'पिता जी, इन सारी चीजों का मतलब क्या हैं?' बेटी ने पूछा
तब पिता ने विस्तार से बताया कि आलू, अंड़े और Coffee Beans सबने एक ही तरह के कठिनाईयों का सामना किया- उबलते हुए पानी का।
लेकिन सभी कि प्रतिक्रिया बिल्कुल भिन्न थी।
आलू को पानी में डालने से पहले वह बहुत कठोर था लेकिन उबलते पानी में डालने के बाद वह मुलायम और कमजोर हो गया।
अंडे को उबलते पानी में डालने से पहले उसके अंदर के तरल द्रव्य उसके उपरी छिलके की वजह से नुकसान से बचे रहते है लेकिन उबलते पानी में अंड़े अंदर से कठोर हो गए।
हालांकि दूसरी ओर coffee bean आलू और अंड़ों से अलग था। जब beans को उबलते पानी के संपर्क में लाया गया तब उन्होंने पानी को ही बदल दिया और एकदम एक नई चीज बना दी।
'तुम इन में से क्या हो?,' पिता ने बेटी से पूछा। 'जब समस्याएं तुम्हारे दरवाजे पर दस्तक देती है तो तुम प्रतिक्रिया स्वरूप क्या करती हो? तुम क्या हो? एक आलू, एक अंडा या एक coffee bean?'
जीवन में बहुत सारी चीजें हमारे आसपास और स्वयं हमारे साथ घटित होती रहती हैं लेकिन जो एक चीज जो truly matter करती है वह यह है कि स्वयं हमारे साथ क्या होता है।
तो बताएँ आप इन में से क्या है? आलू, अंडा या coffee bean?
5. ए डिश ऑफ आईसक्रिम । A Dish of Ice Cream
यह बात उस समय कि जब फलों द्वारा तैयार आईसक्रिम की किमत बहुत कम हुआ करती थी। एक 10 साल का लड़का एक होटल के coffee shop में जाकर एक टेबल पर बैठ गया। कुछ देर बाद एक waitress ने उसके सामने एक ग्लास पानी रख दिया।
'फलों वाले एक आईस-क्रिम की किमत क्या है?,' उस लड़के ने पूछा
'50 सेन्ट,' waitress ने उत्तर दिया।
उसके बाद उस छोटे से लड़के ने अपने ज़ेब से हाथ निकालकर जेब में जितने सिक्कें थे उनको गिनने लगा।
'Plain ice cream की किमत कितनी होगी?,‘ उसने पूछा। उसी समय कुछ अन्य लोग भी दूसरे टेबल पर waitress का इंतजार कर रहे थे और वह भी लड़के के इस देरी से आतुर हो रही थी।
'35 सेन्ट' उसने रूखेपन से कहा।
उस छोटे लड़के ने फिर सिक्कों को गिन्ना। उसके बाद कहा - ‘आप मेरे लिए एक plain ice cream ही ला दो।‘
Waitress ने आईसक्रिम ला दिया और बिल टेबल पर ही रख कर वहाँ से चली गई। कुछ समय के बाद वह लड़का आईसक्रिम खत्म करके cashier को पैसा दे चला गया।
जब waitress दूबारा उसके टेबल पर आई तो वह यह देखकर भावूक हो उसी टेबल पर रोने लगी कि आईसक्रिम के खत्म dish के पास ही उस लड़के ने 15 सेन्ट उस waitress के लिए रख दिये थे।
6. कामयाबी का नक्शा | Success Map
घर के सारे काम खत्म करने के बाद खुशी की मम्मी जब कमरे में दाखिल हुई तो यह देखकर चकित रह गई कि खुशी अभी भी सो रही थी। थोड़ा चिढ़ते हुए बेटी से कहा कि अब यदि एक बार में नहीं उठी तो आज के बाद मैं तुम्हें कभी भी सुबह उठाने नहीं आऊँगी। मम्मी के गुस्से को भाँपते हुए खुशी झट से उठकर बैठ गई। साथ ही उसने मम्मी से कहा कि न तो मुझे अब काॅलेज जाना होता है और न ही अभी कोई नौकरी मिली है। सारा दिन मुझे घर में ही रहना होता है तो फिर मेरे सोने से आप क्यूँ परेशान होती हैं?
उसकी मम्मी ने उससे कहा कि बेटी, तू अब शादी के लायक हो गई है। तू तो अच्छे से जानती है कि तेरे पापा के अचानक इस संसार को अलविदा कह जाने से मैं बिलकुल टूट चुकी हूँ, ऐसे में यदि तुम भी मेरा साथ नहीं दोगी तो मैं अकेले सबकुछ कैसे कर पाऊँगी?
माँ की गोद में सिर रखकर खुशी ने कहा कि माँ मैं तो बिलकुल वैसा ही करती हूँ, जैसा आप कहती हैं। आपने सिखाया कि कभी कोई ऐसा काम मत करो, जिससे आपके करीबी लोगों को तकलीफ हो। इसीलिए मैं न तो खास पढ़ाई करती हूँ और न ही कोई बढ़िया काम; क्योंकि अच्छी पढ़ाई या नौकरी करने से सबसे अधिक परेशानी अपने करीबी रिश्तेदारों को ही होती है। इसी के साथ आपने यह भी कहा था कि कुछ ऐसा करते रहना चाहिए ताकि लोग तुम्हें हमेशा याद रखें। अब इस बात को मानते हुए मैं अपनी सहेलियों से कुछ-न-कुछ पैसे उधार लेती रहती हूँ, जिसके चलते वे हमेशा मुझे याद रखती हैं।
खुशी की मम्मी ने फिर भी उसकी नादानी को अनदेखा करते हुए कहा, 'बेटी पहाड़ जैसी जिंदगी इस तरह हँसी-मजाक में नहीं कटती।'
खुशी ने फिर भी ठिठोली करते हुए माँ से कहा कि आप तो हर समय ज्ञान की बातें ही करती रहती हैं। अब आप कहेंगी कि हमारे कमरे की छत हमें यह सिखाती है कि सदा अपने जीवन में बड़ा लक्ष्य रखना चाहिए। छत पर लगा हुआ पंखा हमें यह शिक्षा देता है कि हमें शांत रहना चाहिए। सामने दीवार पर लगी हुई घड़ी हमें बताती है कि एक-एक मिनट अनमोल है। परंतु आप मेरे प्यारे बिस्तर की बात कभी नहीं सुनतीं, वह तो हमेशा यही कहता है कि यह सबकुछ बकवास है, मस्त होकर चादर ओढ़ो और सो जाओ।
खुशी की मम्मी ने दुःखी होते हुए कहा, 'बेटी आज के बाद जो तेरे मन में आए, तू वैसा ही करना। मैं तेरे किसी काम में दखल नहीं दूँगा।'
अब खुशी को लगा कि माँ सच में बहुत गंभीर हो गई है।
उसने माँ का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा कि तुम ही बताओ कि आखिर तुम चाहती क्या हो? माँ ने बेटी के मूड को अच्छे से आँकने के बाद कहा कि तूने तो काफी पढ़ाई की हुई है, फिर भी तू इस तरह अनपढ़ लोगों जैसी बातें कैसे कर सकती है? क्या सच में इतना भी नहीं जानती कि जब तक व्यक्ति अपने हाथ से मेहनत नहीं करता, वह कभी सफल नहीं हो पाता।
खुशी ने माँ से कहाँ कि मुझे जो पढ़ाई करनी थी, वह कर ली। अब आगे क्या करना है, किस क्षेत्र में काम करूँ, यह न तो आप जानती हैं और न ही मुझे कोई दूसरा समझानेवाला है। इस बात का जवाब देते हुए खुशी की मम्मी ने बेटी से कहा कि हाथ पर हाथ रखने से भी तो किसी समस्या का हल नहीं मिलता। बेटी यह कभी मत भूलना कि आज तक कभी भी किसी को दूसरे के भरोसे बैठकर कामयाबी नहीं मिली। जब तक हमारे अपने अंदर ही कुछ नया करने की इच्छा-शक्ति नहीं होगी, उस समय तक हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकेंगे।
मम्मी के आगे फिर सवाल रखते हुए खुशी ने कहा कि मैं तो इतना जानती हूँ कि किसी भी मंजिल की ओर बढ़ने के लिए उसकी राह को जानना जरूरी होता है; परंतु आप ही बताइए कि एक ही दिन यह सब कुछ कैसे सीखा जा सकता है?
मम्मी ने एक गाइड की भूमिका अदा करते हुए बेटी से कहा कि कामयाबी पाने के लिए सबसे जरूरी होता है अपने जीवन का लक्ष्य तय करना। जब लक्ष्य का निर्णय हो जाए तो फिर उसे कामयाबी में तब्दील करने के लिए उसका नक्शा तैयार करने की जरूरत पड़ती है। यह इसलिए अहम होता है, क्योंकि किसी भी मंजिल तक पहुंचने में हमारी मदद सिर्फ सही ढंग से बनाया हुआ नक्शा ही कर सकता है।
अब खुशी ने पूछा कि मम्मी क्या इस राह पर चलने से सच में कुछ भी पाया जा सकता है?
रास्ते हमें मंजिल तक नहीं पहुंचाते, मंजिल तक पहुँचने के लिए केवल हमारी हिम्मत और हमारे कदम ही हमारे साथ देते हैं - मम्मी ने बेटी की शंका दूर करते हुए बेटी से कहा। जहाँ तक कामयाबी को हासिल करने की बात है, तो उसके लिए जरूरी है कि हम अपने उद्देश्य को पाने के लिए एक जुनून पैदा करें। क्योंकि हमारा जुनून ही हम से वह काम करवा सकता है, जो हम साधारणतया नहीं सकते। इसीलिए तो विद्वान लोग कहते हैं कि एक कामयाब और साधारण व्यक्ति के बीच यदि कोई फर्क होता है तो वह है सिर्फ कामयाबी को हासिल करने की इच्छा-शक्ति का।
दोस्तों, इस परामर्श के बाद आप तो जान ही गए होगें कि यदि आप भी सपनों को हकीकत में बदलना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे जरूरी है कि आप सबसे पहले पूरे आत्म-विश्वास के साथ कामयारबी का नक्शा तैयार करें। यदि आप कामयाबी का नक्शा बनाने में सफल हो जाते हैं तो फिर आपको कोई कार्य कठिन नहीं लगेगा।
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