Title : सुगम
संस्कृत व्याकरण
Pages : 218
File Size : 50.60 MB
Category : Grammar
Language : Hindi / Sanskrit
To read :
Download
For support :
contact@motivationalstoriesinhindi.in
केवल पढ़ने के लिए: बृद्धों को चाहिए कि वे सद्ग्रन्थ खूब पढ़ें, अन्य को सत्संग तथा व्यवहार सुधार कि बातें बतावें, साधु सज्जनों के पास बैठे, प्राप्त ज्ञान के अनुसार अभ्यास करें ।
शरीर के वृद्ध होने के साथ हमारा मन भी वृद्ध होना चाहिए। प्रकृति का विधान बड़ा सुंदर हैं। जैसे जैसे हमारा शरीर शिथिल होता जाय वैसे वैसे हमारा मन संसार कि आसक्ति छोड़कर आत्मस्थ होते जाना चाहिए।
ये पुस्तकें भी पढ़े -
प्रकृति का कितना सुन्दर विधान है! वह शरीर को धीरे-धीरे वृद्ध बनाती हैं और हमें अवसर देती हैं कि तुम अपने मन को भी वृद्ध कर लो। बाल सफेद होने के पहले हमारा मन सफेद हो जाना चाहिए, दाँत टूटने के पहले हमारी तृष्णा शांत जो जाना चाहिए और शरीर बूढ़ा होने के पहले हमारा मन बूढ़ा, परिपक्व, विवेकसंपन, निर्ग्रन्थ, स्वच्छ, शांत एवं आनंदपूर्ण हो जाना चाहिए। जिसकी वासना मिट जाएगी, उसी का तो मन आनंदपूर्ण हो जाना चाहिए। जिसकी वासना मिट जायेगी, उसी का तो मन आनंदपूर्ण होगा।
दूसरे की दी हुई राय का आदर करें। मेल-जोल से ही व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र की उन्नति हो सकती है और उन्हें शांति मिल सकती है।
जिस परिवार या समाज के लोगों में परस्पर विश्वास और प्रेम रहता है उसका विकास अभाव गति से होता है । जिस संघ के सभी सदस्य एक दूसरे को देखकर प्रसन्न होते हैं वहां कोई भी काम बहुत सरलता तथा शीघ्रता से हो जाता है संघ के सभी सदस्यों में परस्पर प्रेम रहने से उन सबको मानसिक शांति मिलती है और उनकी भौतिक उन्नति भी होती है। जिस परिवार समाज एवं संस्था में वरिष्ठ लोग प्रायः एक दूसरे से कटे रहते हैं उसका चलना ही असंभव है, विकास होने की बात ही बेकार है।