Msin.in
Powered by Blogger

[PDF] Ashtanga Hridayam PDF in Hindi | अष्टांगहृदयम्

Hindi PDF of Ashtanga Hridayam
अष्टांगहृदयम् के ग्रंथ के रचयिता वाग्भट है यह सर्व सम्मत है, किन्तु अष्टांगसंग्रह और अष्टांगहृदयम् नाम के दोनों ग्रंथों के रचयिता वाग्भट एक ही हैं या भिन्न-भिन्न, इस विषय में भेद है। मेरा स्वयं मत है कि दोनों ग्रन्थ एक ही विद्वान के लिखे हैं क्योंकि दोनों ही में भाषा भाव आदि के साथ ही पितृनाम में भी साम्य है। केवल 'संग्रह' गद्यपद्यमय विस्तृत ग्रंथ है किन्तु 'हृदय' केवल पद्यमय और संक्षिप्त है। प्राचीन टीकाकारों ने; विशेषतः इंदु ने जो कि वाग्भट के शिष्य थे, अष्टांगसंग्रह की टीका में कई स्थानों पर 'हृदय' का भी उल्लेख किया है और दोनों के रचयिता एक ही आचार्य को माना है। यहाँ से वाग्भट रचित PDF of Ashtanga Hridayam in Hindi डाउनलोड करें- DOWNLOAD

स्वयं प्रंथकर्ता ने स्पष्ट शब्दों में अपने ग्रंथ के अन्त में भी निर्देश किया है कि 'अष्टांग वैद्यक रूपी समुद्र मंथन से प्राप्त 'अष्टांगसंग्रह' नामक अमृत का फल अल्प श्रम से ही लोगों को प्राप्त हो एतदर्थ यह पृथक ग्रंथ बनाया गया।' तथा 'इस ग्रन्थ के अध्ययन से 'संग्रह' को समझने की शक्ति से सम्पन्न अभ्यस्तकर्ता वैद्य कही पर घबड़ा नहीं सकता।'


अष्टांग हृदयम् और वाग्भट | Ashtanga Hridayam in Hindi and Vagbhata


वाग्भट के ही शिष्य तथा अष्टांगसंग्रह और हृदय के टीकाकार इन्दु का वचन इस बात का सर्वश्रेष्ठ प्रमाण है कि संग्रह और हृदय दोनों ही ग्रंथ समकालीन हैं और दोनों ही एक आचार्य द्वारा लिखित है। एक ही काल में एक ही नाम वाले दो आचार्य विशेषतः दोनों के पिता का नाम भी एक ही ऐसी कल्पना करने और इन्दु के वचन का अविश्वास करने का कोई कारण नहीं प्रतीत होता है।

अतः संग्रह और हृदय दोनों के रचयिता वाग्भट एक ही हैं इसमें सन्देह नहीं। एक विस्तृत ग्रंथ की रचना के बाद उसी का संक्षिप्त रूप दूसरा ग्रंथ लिखने के प्राचीन और अर्वाचीन अनेक उदाहरण भी मेरे मत का समर्थन करते हैं।

Ashtanga Hridayam से जुड़े ये PDFs भी देखे -

Astanga Sangraha Hindi (PDF) (78.1 MB)
Charak Samhita by Acharya Charaka in Hindi (PDF)
Sushruta Samhita by Acharya Sushruta in Hindi (PDF)

प्रस्तुत ग्रंथ के प्रत्येक अध्याय के अंत में आचार्य ने अपना और अपने पिता का नाम ही लिखा है, पर अष्टांगसंग्रह में अपने पितामह का भी नाम वाग्भट, पिता का नाम सिंह गुप्त और अपना जन्म स्थान सिन्धु देश भी बताया गया है। साथ ही अपने गुरु का नाम अवलोकित भी बताया है। किन्तु आपके समय का निर्णय करने के लिए आपके ग्रंथों में आये हुए नामों और आप के वचनों का उद्धरण देने वाले अन्य ग्रंथकारों के समय निर्णय की अपेक्षा होती है।

अष्टांगसंग्रह में पलाण्डु का गुणवर्णन करते हुए आचार्य शकराज का उल्लेख करते है, अतः आप भारत में शकों के राज्य के समकालीन प्रतीत होते हैं। भारत में शकों का राज्य दूसरी से चौथी ईसवी शताब्दी तक इतिहास वेताओं ने माना है। इन तीन शतकों में से अंतिम शतक में आप ने इस ग्रन्थ का निर्माण किया ऐसा प्रतीत होता है। क्योंकि वाग्भट के शिष्य इन्दु ने चरक की टीका में भट्टार हरिश्चन्द्र का उल्लेख किया है। इससे यह सिद्ध है कि भट्टार हरिश्चन्द्र ने चरक की टीका इन्दु के पूर्व की, अतः वे इन दोनों के समकालीन या पूर्वकालीन थे।

देश में विशेषतः दक्षिण में यह प्रसिद्ध है कि अमरकोशकार अमरसिंह का ही दूसरा नाम वाग्भट था। वे जाति के ब्राह्मण थे, बाद में उन्होंने बौद्ध धर्म का अंगीकरण कर लिया था। कुछ लोगों का कथन है कि बौद्ध धर्म का खण्डन बिना उसका पूर्ण अध्ययन के सम्भव न देख कर उन्होंने बौद्ध भिक्षु अवलोकित का शिष्यत्व स्वीकार किया। बौद्ध धर्म की बहुत-सी बातें उन्हें जचीं, जिससे वे वैदिक धर्म के नियमादिकों के साथ बौद्ध धर्म में भी उपयोगी आचारदि का सेवन करने लगे। इस पर तत्कालीन समाज ने उन्हें बौद्ध ही कहना प्रारम्भ कर दिया।

इस प्रकार आचार्य वाग्भट के धर्म के सम्बन्ध में बहुत ही मतभेद है तथा अपने आधुनिक विद्वानों ने उन्हें वैदिक, जैन या बौद्ध प्रमाणित करने का प्रयास करते हुए अपने-अपने मतों के समर्थन में अनेक प्रमाण भी उपस्थित किया है, किन्तु प्रत्येक के विरुद्ध भी प्रमाण उपस्थित किये जा सकते है।

Home » PDF

Popular

  • श्रीमद्भगवद्गीता संपूर्ण अध्याय व्याख्या सहित
  • पंचतंत्र की 27 प्रसिद्ध कहानियाँ
  • तेनालीराम की चतुराई की 27 मजेदार कहानियां
  • संपूर्ण गीता सार - आसान शब्दों में जरूर पढ़े
  • स्वामी विवेकानंद की 5 प्रेरक कहानियाँ
  • श्रेष्ठ 27 बाल कहानियाँ
  • Steve Jobs की सफलता की कहानी
  • महापुरूषों के प्रेरक प्रसंग
  • बिल गेट्स की वो 5 आदतें जिनसे वे विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति बनें
  • शिव खेड़ा की 5 प्रेरणादायी कहानियाँ
  • विद्यार्थियों के लिए 3 बेहतरीन प्रेरक कहानियाँ
  • दुनिया के सबसे प्रेरक 'असफलताओं' वाले लोग!

eBooks (PDF)

  • संपूर्ण सुन्दरकाण्ड (गीताप्रेस) (PDF)
  • संपूर्ण चाणक्य नीति (PDF)
  • श्रीमद्भगवद्गीता (गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित) (PDF)
  • शिव ताण्डव स्तोत्र अर्थ सहित (PDF)
  • दुर्लभ शाबर मंत्र संग्रह (PDF)
  • श्री हनुमान बाहुक (PDF)
  • श्री दुर्गा सप्तशती (PDF)
  • श्री हनुमान चालीसा (अर्थ सहित) (PDF)
  • संपूर्ण शिव चालीसा (PDF)
  • एक योगी की आत्मकथा (PDF)
  • स्वामी विवेकानंद की प्रेरक पुस्तकें (PDF)
  • संपूर्ण ऋग्वेद (PDF)
  • संपूर्ण गरुड़ पुराण (PDF)

Important Links

  • हमारे बारे में
  • संपर्क करें

©   Privacy   Disclaimer   Sitemap