Title : Advance Vastu / वास्तु शास्त्र
Pages : 216 / 258
File Size : 39 / 1.43 MB
Category : Home and Lifestyle
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वास्तु शास्त्र का परिचय
जीव-जगत में मानव सर्वश्रेष्ठ जीव इसलिए कहा जाता है क्योंकि मानव में सोचने-समझने एवं बोध का गुण है। जिंदगी में सुख-समृद्धि और मन की शांति प्राप्त करना मानव के जीवन का एक बड़ा उद्देश्य है। इस कारण मनुष्य के जीवन को अच्छी या बुरी तरह से प्रभावित करने वाले कारणों का बहुत महत्व है। इन कारणों में 'वास्तु विज्ञान' की भूमिका स्वीकार करने योग्य है। यह सदियों पुरानी विद्या वास्तव में विज्ञान है जिसके नियमों तथा विश्लेषणों का तार्किक आधार है। आज के युग में वास्तु शास्त्र के महत्व को समझा गया है। वास्तु शास्त्र विज्ञान एवं
ज्योतिषशास्त्र (Astrology) का एक अनूठा मेल है।
'वास्तु' शब्द की उत्पत्ति वस्तु शब्द से हुई है। वस्तु का मतलब है - अस्तित्वपूर्ण स्थिति। इससे जुड़ा हुआ विज्ञान ही 'वास्तु शास्त्र' है।
वास्तु शास्त्र का प्रमुख संबंध घरों व भवनों के निर्माण से हैं। भवन निर्माण करने के 4 मुख्य पक्ष होते हैं - जरूरत, सुविधा, सजावट और तकनीकी उपयोगिता।
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कठोपनिषद के एक श्लोक में कहा गया है - "इस ब्रह्मांड में हर चीज का निर्माण 5 मूल तत्वों - वायु, अग्नि, जल, आकाश और पृथ्वी से हुआ है।" वास्तु शास्त्र मनुष्य को प्रकृति से इन पांच तत्वों को ग्रहण करना सिखाता है।
पुराने समय में भारत के ऋषि-मुनियों ने लोगों की भलाई के लिए पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति, हवा के बहाव, दिशाओं, गुरूत्व के नियमों एवं सूरज की ऊर्जा-शक्ति को ध्यान में रखकर वास्तु शास्त्र की रचना की थी।
5 तत्वों के मिलने से ही Bio-Electric Energy का जन्म होता है, जिससे मनुष्य एक निरोगी और सुखी जीवन व्यतीत करता है।
रोमन भवन निर्माण कला एवं वास्तु (Roman Architecture or Vastu Kala)
रोमन साम्राज्य के राज्य प्रबंध की आवश्यकताओं को देखते हुये पक्की सड़कों, पुलों तथा संचार साधनों का निर्माण आवश्यक था। नगरों के लिए बड़े-बड़े भवन तथा कृत्रिम जल मार्ग भी बनाये गये। रोम के भवनों की शान और वैभव को देख कर ऐसा प्रतीत होता था कि रोमन साम्राज्य कितना बड़ा, शक्तिशाली और समृद्ध था।
रोम की बाहरी शान, ओल्ड फोरम जैसे सार्वजनिक भवन तथा स्नान घरों से प्रगट होती थी। रोम के लोगों ने यूनानी भवन निर्माण कला को अपनाया तथा उसमें अपनी ओर से कुछ परिवर्तन भी किये। उन्होंने भवन निर्माण कला में पत्थरों को जोड़ने का विभिन्न ढंगों का आविष्कार किया। इससे मेहराबों तथा गुम्बदों का बनाया जाना सम्भव हो गया। More:
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नगर के चैराहों तथा बजारों में सम्राटों के सम्मान में विजय स्तम्भ बनाये गये। पुलों, भवनों तथा जलमार्गों (Aqueducts) के बनाने में मेहराबों का अधिक प्रयोग किया जाता था। रोमन लोगों ने जलमार्ग बनाये जो कि पर्वतों के चश्मों से पानी लाते थे। मेहराबों वाले पुल जिन पर नालियां बनी हुई थीं निचले क्षेत्रों पर बनाये जाते थे, जिनके द्वारा पानी नीचे की ओर बह जाता था। रोम में नगर के लोगों के लिये पानी जलमार्गों द्वारा लाया जाता था।
बड़े-बड़े स्थानों को ढ़ापने के लिए रोम के लोग गुम्बदों का भली प्रकार से प्रयोग करते थे। गुम्बद भवन निर्माण कला का एक सुन्दर उदाहरण रोम का सभी देवताओं का मन्दिर (temple of all gods) - पैन्थियन था जाकि आज तक भी अच्छी स्थिति में स्थित है। ऐसा लगता है कि एक बहुत बड़े प्याले को उल्टा करके रखा गया है।
सार्वजनिक स्नानगृह रोम के नागरिक जीवन की एक मुख्य विशेषता थी। जब ईरान के शासक ने ऐसा स्नानगृह इरान में बनाने का प्रयत्न किया तो उसे वहां के पुरोहितों के विरोध का सामना करना पड़ा। उनका विचार था कि जल एक बहुत ही पवित्र वस्तु है तथा इसका सार्वजनिक स्नान के लिए प्रयोग नहीं होना चाहिए।
रोम की सड़कें इंजीनियरिंग के ठोस सिद्धांतों के अनुसार योजनाबद्ध ढंग से बनाई जाती थी। एपाईन मार्ग रोम का प्राचीन मार्ग था। जिसके द्वारा बहुत-से लोग दक्षिण पश्चिम से इटली की बन्दरगाहों पर जाते थे। एक अन्य मार्ग फ्लेमिनियम वे जोकि रोम के उत्तर पश्चिम से ऐड़िरिआअिक सागर तक जाता था तथा वह उत्तरी प्रान्तों की अन्य सड़कों को आपस में मिलाता था। कहा जाता है कि रोमन सड़कों पर यात्रा करने की गति इतनी तीव्र थी कि उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ तक इतनी तीव्र गति सम्भव न थी।