Title : भृगु संहिता
Pages : 334
File Size : 82 MB
Author : Maharishi Bhrigu
Book Category : Astrology
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'यत्पिण्डे तत्व्रह्मण्डे' की कल्पना के आधार पर, आज से सहस्रों वर्ष पूर्व भारतीय मनीषियों ने अपनी अन्तर्मुखी सूक्ष्म प्रज्ञा-शक्ति द्वारा
गहन पर्यवेक्षण करके यह निष्कर्ष निकाला था कि प्रत्येक वस्तु की रचना का मूलाधार सूक्ष्म 'परमाणु' हैं तथा असंख्यों परमाणुओं के समाहार-स्वरूप निमित मानव-शरीर का आकार आकाशीय सौर-गत् से न केवल मिलता-जुलता ही है, अपितु आकाशचारी ग्रह-नक्षत्रों का मानव-शरीरस्थ सूक्ष्म सौर-जगत् से अन्योन्याश्रय सम्बन्ध भी रहता है और वे उस पर अपनी गतिविधियों का निरन्तर प्रभाव भी डालते हैं। यही कारण है कि आकाशीय ग्रहों की स्थिति के अनुसार पृथवीतलवासी मनुष्य के जीवन में अहर्निशि विभिन्न प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं।
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मनुष्य जिस समय पृथ्वी पर जन्म लेता है, उस समय आकाश-मण्डल में विभिन्न ग्रहों की जो स्थिती होती है, उसका प्रभाव जातक के जीवन की निरन्तर प्रभावित ग्रहों की स्थिति की ही परिचायक होती है। यदि उसका गहन अध्ययन किया जाय तो जातक के जीवन में क्षण-क्षण पर घटने वाली सभी घटनाओं का सम्यक् ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
कहावत है- 'अदृष्ट का लेख कोई नहीं पढ़ पाता।' - परन्तु जिस प्रकार दीपक के प्रकाश में तमसावृत वस्तुओं का स्वरूप दृष्टिगोचर हो उठता है, उसी प्रकार ज्योतिविज्ञान-रूपी (Astrology) दीपक का उजाला भी अदृष्टलेख-रूपी तिमिरावरण की चीर कर भूत, भविष्य एवं वर्तमानकाल में घटने वाली घटनाओं को उजागर कर देता है-इसमें कोई संदेह नहीं।
ज्योतिष-शास्त्र के विभिन्न अंगों में 'गणित' तथा 'फलित' का स्थान मुख्य है। फलित-ज्योतिष द्वारा मानव-जीवन पर पड़ने वाले आकाशीय ग्रहों की गति-विधियों के प्रभाव का विश्लेषण किया जाता है। सहस्रों वर्षों के अनुभवों तथा अन्वेषणों के आधार पर यह विद्या अब एक सुनिश्चित विज्ञान का स्वरूप ग्रहण कर चुकी है तथा प्राणिमात्र के लिए परम् उपयोगी सिद्ध हुई है।
'जन्मकुण्डली के किस भाव में स्थित कौन-सा ग्रह जातक के जीवन पर क्या प्रभाव डालता है' - प्रस्तुत ग्रंथ में इसी विषय का संक्षिप्त विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। ग्रहों के पारस्परिक सम्बनध, अंश, उच्च-नीचादि स्थिति आदि अनेक ज्ञातव्य विषयों का विवरण भी इसमें संकलित है। फलित-ज्योतिष (predictions) सम्बन्धी अन्य विषयों की भी स्थान देकर, इसे सर्वसाधारण के लिए अधिकाधिक उपयोगी बनाने का प्रयत्न भी किया गया है। परन्तु, इस एक ही ग्रंथ द्वारा ज्योतिष-विद्या से सर्वथा अपरिचित सामान्य व्यक्ति भी पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं तथा किसी भी स्त्री-पुरूष की जन्मकुण्डली के ग्रहों का फलादेश ज्ञात कर सकते हैं। विषय-वस्तु की अधिकाधिक बोधगम्य बनाने की भी भरसक चेष्टा की गई है। अपने प्रयत्न में हम कहाँ तक सफल हुए हैं, इसे विज्ञ पाठकगण स्वयं ही अनुभव कर सकेगें।