भाव-पल्लवन या अनुच्छेद लिखना एक कला है। किसी विषय से संबंधित सभी महत्वपूर्ण बातों को कम शब्दों में लिखने के लिए बड़े बुद्धी-कौशल की आवश्यकता है। अनुच्छेद लेखन में किसी एक भाव या विचार को ही लिखना श्रेयस्कर है।
निबंध में अलग-अलग अनुच्छेदों में अलग-अलग भावों को व्यक्त करते हैं। पर अनुच्छेद में किसी एक विषय के एक ही पहलू को संबद्ध लधु-वाक्य समूह द्वारा अभिवयक्त करते हैं। अनुच्छेद अपने-आप में पूर्ण और सार्थक होते हैं। आपका प्रयास यही होना चाहिए कि उसमें एक भी वाक्य अनावश्यक न हो।
अनुच्छेद लिखने (Anuched Lekhan) के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी आवश्यक हैं-
- अनुच्छेद एक प्रकार की संक्षिप्त लेखन-शैली है, अतः इसमें मुख्य विषय पर ही केंद्रित रहना चाहिए।
- अनुच्छेद में उदाहरण अथवा दृष्टांत के लिए कोई स्थान नहीं है। आवश्यकता होने पर उसकी ओर संकेत कर देना ही पर्याप्त है।
- अनुच्छेद में व्यर्थ की बातें उसके प्रभाव को शिथिल बनाती हैं।
- अनुच्छेद के सभी वाक्यों का परस्पर घनिष्ठ संबंध होना चाहिए।
- अनुच्छेद में इस बात की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि उसका प्रथम और अंतिम वाक्य अर्थगर्भित तथा प्रभावोत्पादक होना चाहिए।
- प्रथम वाक्य की विशिष्टता इसमें है कि वह अनुच्छेद के संबंध में पाठक का कौतूहल जाग्रत करने में किस सीमा तक समर्थ है। अंतिम वाक्य की विशिष्टता इस तथ्य पर निर्भर करती है कि पाठक की जिज्ञासा किस सीमा तक शांत हुई है।
- अनुच्छेद में भाषा की शुद्धता तथा शब्दों के चयन पर विशेष रूप से ध्यान देना अपेक्षित है। मुहावरों तथा लोकोक्तियों का प्रयोग अनुच्छेद को शक्ति प्रदान करता है तथा उसे प्रभावशाली बना देता है।
- अनुच्छेद लिखते समय परीक्षार्थी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपनी बात को उतने ही शब्दों में बाँधने का प्रयत्न करे जितने शब्द प्रश्न-पत्र में कहे गए हैं। दो-चार शब्द कम-अधिक होना आपत्तिजनक नहीं होता।
- सामान्यतः 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखा जाता है।
विशेषः अब परीक्षा में संकेत-बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखने (paragraph writing) के लिए कहा जाता है। अतः विद्यार्थियों को चाहिए कि पहले वे उन संकेत-बिंदुओं के भाव को समझें। उनमें संबंध बनाएँ। मन-ही-मन एक क्रम और लय बनाने के बाद उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर अनुच्छेद लिखें।
अनुच्छेद के उदाहरण (Examples of Anuched Lekhan)
यहां कुछ उदाहरण दिये जा रहे, जिससे आपको किसी भी विषय पर अनुच्छेद कैसे लिखा जाए इसका अंदाजा हो जाएगा।
ग्लोबल वार्मिंग के खतरे
विचार-बिंदु - ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ, ग्लोगल वार्मिंग के खतरे, उनके प्रभाव, बचाव हेतु उपाय
ग्लोबल वार्मिंग इक्कीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा खतरा है। इसका अर्थ. पृथ्वी तप रही है। धरती पर गर्मी खतरनाक गति से बढ़ रही है। इसके कारण शताब्दियों से जमे हिमखंड पिघल रहे हैं। आकाश की छाती में छेद होने जा रहे हैं। इसके कारण सूर्य की जहरीली किरणें ओजोन गैस की परत को भेद कर धरती पर आएँगी। जो भी मनुष्यए पशु या वनस्पति उसके संपर्क में आएगी वह स्वाहा हो जाएगी। धरती पर रोग बढ़ेंगे। मौत असमय ही दस्तक देने लगेगी। ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है. मनुष्य द्वारा ऊर्जा का असीमित उपयोग। परमाणु भट्टियाँए औद्यौगिक ऊर्जाए एण्सीण् का खुला उपयोग आदि ऐसे बड़े कारण हैं जिनसे वातावरण में ऊष्मा बढ़ रही है। निरंतर कटते पेड़ और वनए पैट्रोल की अत्यधिक खपत भी इस गर्मी को बढ़ा रहे हैं। ये सब मानवीय कार्य हैं जो प्रकृति के चक्र में खलल डाल रहे हैं। इन्हें रोकने का उपाय भी मनुष्य के हाथों में है। यदि उत्पादन के लिए मानवीय श्रम का अधिक उपयोग किया जाए। मशीनों पर निर्भरता घटाई जाए। पेड़ों और वनों को संरक्षित किया जाए। लकड़ी और आवास के लिए नए विकल्प खोजे जाएँ तो यह खतरा कुछ सीमा तक कम हो सकता है। परमाणु ऊर्जा से होने वाले खतरों को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
अनुशासन
विचार-बिंदु - अनुशासन का अर्थ, प्रकृति में अनुशासन, अनुशासन से प्रगति, अनुशासन से राष्ट्र-विकास।
अनुशासन का अर्थ है- नियम और व्यवस्था का पालन। प्रकृति में सर्वत्र नियमों का पालन होता है। धरती, सूरज, चंद्रमा-सभी अपनी-अपनी धुरी पर घूमते हैं। यदि ये नियम तोड़ दे ंतो सृष्टि का चक्र पल-भर को भी न चल पाए। मानव-जीवन भी अनुशासन के बल पर गतिमान रहता है। अनुशासित व्यक्ति अधिक प्रगति करते हैं। अनुशासनहीन व्यक्ति का समय और शक्ति व्यर्थ में ही व्यय हो जाते हैं। जबकि अनुशासित व्यक्ति अपने समय का सोच-समझकर प्रयोग करता है। इसलिए वह एक-एक कदम आगे बढ़ता चला जाता है। समाज तथा राष्ट्र की उन्नति भी अनुशासन द्वारा संभव है। अनुशान किसी राष्ट्र को व्यवस्थित करता है, उसे शक्ति तथा स्फूर्ति प्रदान करता है तथा वही उसके विकास की गति को तीव्र बनाता है। हमारी तुलना में चीन और जापान की प्रगति का मूल कारण वहाँ के लोगों की अनुशासन के प्रति आस्था है। वास्तव में अनुशासन के बिना एक समुन्नत, स्वस्थ, सुदृढ़ तथा शकितशाली राष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
समय बहुमूल्य है
विचार-बिंदु - समय लौटता नहीं, उचित समय का लाभ लेना आवश्यक, कोई उदाहरण
समय जीवन है। ईश्वर एक बार एक ही क्षण देता है और दूसरा क्षण देने से पहले उसको छीन लेता है। समय ही एक ऐसी वस्तु है जिसे खोकर पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। समय के सदुपयोग का अर्थ है- उचित अवसर पर उचित कार्य पूरा कर लेना। जो व्यक्ति उपयुक्त समय पर कार्य नहीं करता, वह समय को नष्ट करता है। एक दिन ऐसा आता है, जबकि समय उसको नष्ट कर देता है। जो छात्र पढ़ने के समय नहीं पढ़ते, वे परिणाम आने पर रोते हैं। समय रूकता नहीं है। जिसको उसका उपयोग उठाना है, उसे तैयार होकर उसके आने की अग्रिम प्रतीक्षा करनी चाहिए। जो जाति समय का सम्मान करना जानती है, वह अपनी शक्ति को कई गुना बढ़ा लेती है। यदि कार्यालय के कार्य ठीक समय पर संपन्न हो जाएँ, कर्मचारी समय के पाबंद हों तो सब कार्य सुविधा से हो सकेंगे। गाँधी जी समय के पाबंद थे। शिक्षाविद् ईश्वरचंद्र विद्यासागर के भी कई किस्से प्रसिद्ध हैं। सृष्टि का सारा चक्र समय से बँधा हुआ है। आप ही सोचिए, यदि एक भी दिन धरती अपनी धुरी पर घुमने में देरी कर जाए तो परिणाम क्या होगा? विनाश और महाविनाश। अतः हमें समय की महत्ता को समझना चाहिए।
गाँवों का देश भारत (Anuched on Indian Villages)
विचार-बिंदु - भारतमाता ग्रामवासिनी, दयनीय दशा, अभावों से ग्रस्त गाँव, निर्धनता का कारण, समाधान, आशा की कीरण
भारत की अधिकांश जनता गाँवों में निवास करती है। पंत जी ने अपनी कविता में भारतमाता को ग्रामवासिनी कहा है। हमारे राजनेताओं ने आज तक गाँवों के विकास के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए। भारत के गाँवों में अभाव-ही-अभाव हैं। न वहाँ पक्के मार्ग हैं, न पीने का जल है और न आधुनिक सुविधाएँ। शिक्षा, चिकित्सा, बाज़ार जैसी मूलभूत सुविधाएँ भी नदारद हैं। परिणामस्वरूप गाँवों में रहना आनंद का विषय नहीं, बल्कि एक विवशता हो गई है। गाँवों में रोजगार का अभाव है। आज की औद्यौगिक सभ्यता शहरों पर आश्रित है। शहरों में बड़े-बड़े कार्यालय, उद्योग और धंधे केंद्रित हैं। यहाँ तक कि कृषि के लिए उपयोगी बीज, यंत्र, खाद, दवाई आदि के लिए भी शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है। प्रश्न यह है कि गाँव सचमुच में स्वर्ग बनें? इसका एक ही उत्तर है- विकास की धुरी गाँवों को बनाया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े-बड़े चिकित्सालय, मनोरंजन-स्थल, श्रेष्ठ विद्यालय, समृद्ध बाजार और उद्योग खोले जाएँ। ग्रामीण लोगों को जन्म, शिक्षा, चिकित्सा तथा आजीविका की सुविधाएँ गाँवों में ही उपलब्ध कराई जाएँ। तभी हमारा देश पुनः सोने की चिड़िया बनने की दिशा में अग्रसर हो सकेगा।
इंटरनेट: एक संचार-क्रांति (Anuched on Internet)
विचार-बिंदु - अर्थ, संचार-जगत में क्रांति, ज्ञान का भंडार, शिक्षा में सहायक, दोष एवं प्रभाव
इंटरनेट उस ताने-बाने को कहते हैं जो विश्व-भर के कंप्यूटरों को आपस में जोड़ता है। इंटरनेट से सभी कंप्युटरों की जानकारियों सभी को उपलब्ध हो जाती हैं। इस संचार-तंत्र से संचार-जगत में सचमुच एक क्रांति घटित हो गई है। लोगों के सामने जानकारियों का अंबार लग गया है। एक प्रकार से यह ज्ञान का विस्फोट है। इंटरनेट पर ज्ञान की अनंत सामग्री उपलब्ध हो गई है। जितनी ताजा खबरें, जितने आधुनिक लेख इंटरनेट पर उपलब्ध हो जाते हैं, उतने तो रोज-रोज छपने वाले अखबारों में भी नहीं मिल पाते। वास्तव में इंटरनेट पल-प्रतिपल बदलता रहता है। इंटरनेट के सहारे रेलवे और हवाई जहाज की टिकटें मिल सकती हैं। बुकिंग की स्थिति का ज्ञान हो सकता है। बच्चों को अपने पाठ्यक्रम की सारी जानकारी इसके माध्यम से मिल सकती है। एक प्रकार से यह शिक्षक की भूमिका भी अदा करता है। इंटरनेट में उपलब्ध पाठ्य-सामग्री को बार-बार पढ़ा जा सकता है।
घर बैठे-बैठे विश्व-भर के समाचार-पत्र पढ़े जा सकते हैं। इंटरनेट की इतनी खूबियाँ होते हुए भी इसकी कठिनाइयाँ अनेक हैं। इसका ज्ञान भंडार इतना विपुल है कि ठीक जानकारी उपलब्ध करने के लिए बहुत अधिक समय, ऊर्जा तथा बिजली खर्च करनी पड़ती है। बिजली न हो तो मनुष्य पंगु हो जाता है। इंटरनेट शातिर अपराधियों के लिए स्वर्ग बन गया है। कुशल अपराधी लोगों के बैंक-खातों तथा तथा अन्य कागज़ातों में छेड़छाड़ करके उन्हें घर बैठे-बैठे लूट लेते हैं। अभी इन साइबर अपराधों से बचने के उपाय लोकप्रिय नहीं हैं। धीरे-धीरे लोग इन्हें जान जाएँगे। तभी इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकेगा।
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अनुच्छेद लिखने का अभ्यास करें (Practice Anuched Lekhan)
निम्नलिखित विषयों के बिंदुओं के आधार पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद (paragraph writing) लिखिए-
- चलती का नाम गाड़ी
[विचार-बिंदु- मानव-जीवन में निरंतर गति आवश्यक, नए कर्म, नए लक्ष्य, लक्ष्य पर चलने वाले पथिक के आनंद, ग्लानिरहित जीवन, गतिहीन जीवन दुर्गंधमय]
- नर हो न निराश करो मन को
[विचार-बिंदु- निराश न होने की प्रेरणा, नर होने का अर्थ, हिम्मत और शक्ति आवश्यक, निराशा से जूझना, कर्म करके निराशा समाप्त करना]
- क्रिकेट और भारत
[विचार-बिंदु- भारत में क्रिकेट का दीवानापन, सबसे बड़ी क्रिकेट संस्था, सर्वाधिक दर्शक और श्रोता]
- महँगाई
[विचार-बिंदु- महँगाई निरंतर विकास की ओर, गरीबों पर कुप्रभाव, कुछ भाव बताना, बच्चों की पढ़ाई पर प्रभाव, महँगाई पर नियंत्रण करना सरकार का कर्तव्य।]
- लड़का-लड़की एक समान
[विचार-बिंदु - भगवान की नजरों में लड़का-लड़की बराबर, दोनों में केवल लिंग-अंतर, पुरूष शरीर और स्वभाव से कठोर, स्त्री कोमल, दोनों एक-दूसरे के पूरक, दोनों में अंतर करना अन्याय।]