दोस्तों, अकसर विद्यालय और महाविद्यालय की परीक्षाओं में विभिन्न विषयों पर निबंध रचना के प्रश्न आते हैं। वहां आपको विषय दिये जाते है जिस पर आपको अपने अनुसार, सीमित शब्दों में निबंध लिखना होता है। ये विषय किसी भी क्षेत्र से जुड़े हो सकते हैं। जैसे- सामाजिक, साहित्यिक, राजनीतिक, साँस्कृतिक तथा समसामयिक आदि।
यहां पर हम आपको ऐसे विषयों की एक लंबी सूची दे रहे है जिन पर अकसर परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं। इन विषयों पर निबंध लिखने का अभ्यास करें।
निबंध रचना से पूर्व निबंध के इन प्रमुख अंगों को ध्यान में रखें:
प्रारंभ - जैसा कि आप जानते है, कोई भी कार्य अगर अच्छे से प्रारंभ किया जाए तो उसके सफल हाने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए लेख की शुरूआत भी अच्छी ढंग से करें। प्रारंभ छोटा रखे तथा जिस विषय पर आप लेख लिख रहे है उसकी उपयोगिता व महत्व को कम शब्दों में पहले ही बता दे। जिससे पाठक आकर्षित हो सके।
उत्कर्ष - यह निबंध का वह भाग होता है, जहां आप विस्तार से अपने मुख्य विषय को लिखते है। इस में आपके महत्वपूर्ण तर्क तथा तथ्य शामिल होते है। उत्कर्ष से लेख को एक नया रूप मिलता है।
चरमोत्कर्ष - यह निबंध का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। हमारे topic का मूल मुद्दा यही सुस्पष्ट होता है।
अपकर्ष - ये भाग लेख का सबसे कठिन हिस्सा होता है, क्योंकि यहां विषय को विस्तार नहीं दिया जाता बल्कि समेटा जाता है।
उपसंहार - अंत में पाठकों का ध्यान अपने विषय के मुख्य बिंदु पर आकर्षित करने का प्रयास करें।
हिंदी निबंध के विषय (Essay Topics)
साहित्यिक एवं सांस्कृतिक निबंध
- साहित्य समाज का दर्पण है अथवा साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं मार्गदर्शक भी है
- साहित्य का उद्देश्य
- संस्कृति और समाज
- राष्ट्र निर्माण में साहित्यकार की भूमिका अथवा समाज के प्रति साहित्यकार का दायित्व
- भारतीय सँस्कृति
- मेरे प्रिय साहित्यकार - प्रेमचंद
- मेरे प्रिय कवि - कबीरदास
- मेरी प्रिय कृति (रचना) रामचरितमानस
- हिंदी साहित्य: पाठकों का अभाव
लोकोक्तियों पर आधारित निबंध
- कबिरा संगति साधु की, हरै और की व्याधि अथवा सत्संगति
- परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
- परहित सरिस धर्म नहिं भाई अथवा निःस्वार्थ सेवा अथवा अपने लिए जीए तो क्या जीए
- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
- समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता अथवा समय का सदुपयोग
- दैव-दैव आलसी पुकारा
- मन के हारे हार है मन के जीते जीत
- ''जहाँ सुमति तहँ सम्पत्ति नाना। जहाँ कुमति तहँ विपत्ति निदाना।।''
- वाणी का माधुर्य अथवा 'कागा काको धन हरै, कोयल काकू देत'
- पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं
- विपत्ति कसौटी जे कसे सोई साँचे मीत
- तेते पाँव पसारिए, जेती लाम्बी सौर
- लक्ष्मी की महिमा अथवा दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रूपैया
- जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान
- सत्य भाषण अथवा साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप
- बुरा जो देखन मैं चला, मुझसा बुरा न कोय
- हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश, विधि हाथ अथवा विधि का लिखा को मेटनहारा
- नर हो, न निराश करो मन को
भारत की विविध समस्याएँ
- बढ़ती जनसंख्या एक विकट समस्या
- महँगाई की समस्या
- प्रदूषण की समस्या: कारण और निदान अथवा दिन-दिन बढ़ता प्रदूषण अथवा महानगरों में बढ़ता प्रदूषण
- नशाखोरी-एक अभिशाप अथवा मादक द्रव्य सेवन-समस्या और समाधान
- बेरोजगारी की समस्या
- भ्रष्टाचार का दानव
- एड्स की चुनौती अथवा एड्स-जानकारी ही बचाव
- सतीप्रथा-एक अभिशाप
- दहेज प्रथा: एक अभिशाप
- आतंकवाद की समस्या और समाधान
- महानगरीय जीवन: अभिशाप या वरदान
- बढ़ती जनसंख्या: सिकुड़ते साधन
- निरक्षरता - एक अभिशाप
विज्ञान संबंधी निबंध
- सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति और भारत अथवा सूचना प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ
- कंप्यूटर: आज की आवश्यकता
- अंतरिक्ष विज्ञान और भारत
- केबल संस्कृति और भारतीय समाज
- मानव और विज्ञान
- विज्ञान वरदान है या अभिशाप
नारी संबंधी निबंध
- आज की भारतीय नारी
- भारतीय समाज में नारी का स्थान
- नारी शिक्षा - आज की आवश्यकता
- महिलाओं का राजनीति में प्रवेश: एक चुनौती
भारत संबंधी निबंध
- सारे जहां से अच्छा हिंदुस्ताँ हमारा
- स्वतंत्र भारत की उपलब्धियाँ
- भारत की राष्ट्रभाषा अथवा हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
- भारत की ऋतुएँ
- ग्रामीण जीवन अथवा भारतीय गाँव
- परमाणु शक्ति संपन्न भारत
- सांप्रदायिकता: भारत की एकता को खतरा
- यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता
- इक्कीसवीं सदी का भारत
- भारतीय किसान
- भारत गणराज्य के बारहवें राष्ट्रपति - डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
- स्वदेश प्रेम अथवा देश-भक्ति अथवा ''वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं''
विद्यार्थी और युवा पीढ़ी से संबंधित निबंध
- विद्यार्थी और अनुशासन
- आदर्श विद्यार्थी
- विद्यार्थी और राजनीति अथवा राजनीति में छात्र-प्रवेश उचित या अनुचित
- छात्र अंसतोष- कारण और समाधान
समाचार-पत्र/प्रेस/विज्ञापन
- समाचार-पत्र और उनकी उपयोगिता
- विज्ञान: लाभ और हानियाँ
विविध निबंध
- वर्तमान युग में शिक्षा-प्रसार के विभिन्न साधन
- भाग्य और पुरूषार्थ
- शिक्षा और व्यवसाय
- धर्म निरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता
- हमारे राष्ट्रीय पर्व
- आदर्श मित्र
- किसी मेले का आँखों देखा दृश्य
- चाँदनी रात में नौका-विहार
- देशाटन
- पुस्तक मेले तथा उनकी सार्थकता
- व्यायाम और स्वास्थ्य
- यदि मैं शिक्षा-मंत्री होता
- भारत का प्राकृतिक सौंदर्य
- बाल मजदूरी: एक अभिशाप
- दूरदर्शन: विकास या विनाश
- मेरी पर्वतीय स्थान की यात्रा अथवा मेरी कश्मीर यात्रा
ध्यान दे: धीरे-धीरे निबंध लेखन का स्थान
अनुच्छेद लेखन ने ले लिया है। इसमें आपको विचार-बिंदु दिये जाते हैं जिसके आस-पास आपको संबंधित विषय पर अपना अनुच्छेद लगभग 200 शब्दों में पुरा करना होता है।
One Example:
विषयः यदि मैं अपने विद्यालय का प्रधानाचार्य होता
विचार-बिंदु - क.) भूमिका    ख.) विद्यालय की व्यवस्थाओं में नियमितता    ग.) परीक्षा की योजना    घ.) खेल-कूद को प्रोत्साहन    ड.) सांस्कृतिक कार्यक्रम    च.) अध्यापक-छात्र-संबंध।
भूमिका - मेरा कल्पनाशील मन अनेक बार स्वयं को भिन्न-भिन्न रूप में देखता है। कभी-कभी मैं कल्पना करता हूँ कि यदि मैं अपने विद्यालय का प्रद्यानाचार्य होता तो क्या होता? प्रधानाचार्य होने की कल्पना से ही मुझे लगता है कि मानो मेरे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई है।
विद्यालय की व्यवस्थाओं में नियमितता - प्रधानाचार्य बनते ही सर्वप्रथम मैं विद्यालय की सारी व्यवस्थाओं को नियमित करूँगा। विद्यालय नियमपूर्वक ठीक समय पर खुले, ठीक समय पर उपस्थिति, प्रार्थना आदि हो तथा निश्चित समयानुसार सभी कालांश (पीरियड) लगें, इस काम को मैं प्राथमिकता दूँगा।
परीक्षाओं की योजना - मेरी दृष्टि में परीक्षाओं की योजना पढ़ाई के लिए अत्यंत हितकर है। अतः मैं प्रयास करूँगा कि छात्रों की समय-समय पर छोटी-छोटी परीक्षाएँ हों। वर्ष में दो बार बड़ी परीक्षाएँ हों ताकि छात्र छोटी परीक्षाओं के माध्यम से विषय को सारपूर्वक समझ लें और बड़ी परीक्षाओं के द्वारा पूरा पाठ्यक्रम तैयार कर लें। मैं नकल और धोखाधड़ी को पूर्णतया समाप्त कर दूँगा, चाहे इसके लिए किसी का दबाव क्यों न सहना पड़े।
गरीब तथा योग्य छात्रों की व्यवस्था - मैं विद्यालय में उन गुदड़ी के लालों को पहचानने और विकसित करने का पूरा प्रयास करूँगा जो गरीबी के कारण अपनी प्रतिभा का विकास नहीं कर पाते। ऐसे छात्रों को प्रोत्साहन और सहायता दिलवाने का प्रयास करूँगा।
खेल-कूद को प्रोत्साहन - खेल-कूद को बढ़ावा देने के लिए मैं ऐसी व्यवस्था करूँगा कि प्रत्येक रूचिवान छात्र को अपना प्रिय खेल खेलने का अवसर मिल सके। इसके लिए मैं कभी-कभी विद्यालय के छात्रों की विभिन्न खेल-प्रतियोगिताएँ आयोजित करूँगा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम - मुझे भाषण, वाद-विवाद, कविता-पाठ, नाटक, अभिनय आदि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गहरी रूचि है। मैं चाहूँगा कि मेरे विद्यालय के छात्र इन कार्यक्रमों में अधिकाअधिक भाग लें। इसके लिए मैं कला-संपन्न अध्यापकों का एक उत्साही मंडल तैयार करूँगा जो बच्चों में ये कलाएँ विकसित करें तथा उनका चहुँमुखी विकास करें।
अध्यापक-छात्र संबंध - मेरा प्रयास होगा कि मेरे विद्यालय के छात्र केवल ग्राहक न हों और अध्यापक ज्ञान-विक्रेता न हों। उनमें ज्ञान, श्रद्धा और प्रेम का गहरा संबंध होना चाहिए। इसके लिए मैं अनेक युक्तियों से प्रयास करूँगा। मैं अपने अध्यापकों और छात्रों के मध्य निर्भयता का वातावरण बनाऊँगा ताकि सब अपनी भावनाएँ एक-दूसरे को कह-सुन सकें। मैं समझता हूँ कि इन उपायों से मेरा विद्यालय एक श्रेष्ठ विद्यालय बन पाएगा।