दोस्तों, यहां सबसे अच्छी 7 Akbar Birbal Stories दी जा रही है। ये सभी कहानियां अपने आप में रोचक किस्से समेटी हुई हैं। पढ़े और दूसरों के साथ भी शेयर करें।
इसमें शक की कोई बात न थी कि बीरबल दूर-दूर तक बड़े नामीगिरामी थे। एक दिन वह अकबर के साथ दरबार में बैठे थे। तभी टैक्स चोरों से जब्त की गई चीजों में एक बड़ा गधा भी दरबार में हाजिर किया गया।
बादशाह को खुश करने के इरादे से बीरबल गधे की तारीफ के पुल बांधते हुए बाले- 'जहांपनाह! इसके चेहरे से ऐसी बुद्धिमानी फूट रही है कि शायद सिखाने पर ये पढ़ना-लिखना भी सीख जाए।'
बादशाह ने उनकी बात पकड़ ली और सेवक को आदेश दिया कि वह गधे की रस्सी को बीरबल के हाथ में थमा दे।
फिर बादशाह ने बीरबल से कहा - 'यदि गधा इतना बुद्धिमान है तो इसे ले जाओ और महीने भर में पढ़ा-लिखाकर वापस ले आओ।'
बीरबल को समझते देर न लगी कि यदि वह इस काम में विफल हो गए तो नतीजा क्या होगा।
ठीक एक महीने बाद उसी गधे की रास थामे बीरबल दरबार में हाजिर हुए। बादशाह ने पूछा - 'क्या गधा पढ़-लिख गया है?'
'हां, जहांपनाह......!' कहते हुए उन्होंने एक मोटी-सी पोथी गधे के सामने रख दी।
गधा जुबान से पोथी के पन्ने पलटता चला गया और तीसवें पन्ने पर पहुंचकर जोर-जोर से रेंकने लगा।
बादशाह और सभी दरबारी चकित रह गए।
'तुमने यह चमत्कार कैसे किया?' बादशाह ने पूछा।
बीरबल ने बड़ी शान के साथ समझाया - 'जहांपनाह! पहले रोज मैंने मुट्ठी-भर घास पोथी की जिल्द और पहले पन्ने के नीचे रख दी।'
दूसरे दिन मैंने घास दूसरे पन्ने पर रख दी और पोथी बन्द कर दी।
गधे ने उसे खोलकर घास खा ली। फिर रोज़ाना इसी तरह से आगे के पन्ने पलटने लगा, लेकिन जिस पन्ने पर घास नहीं मिलती तो गधा गुस्सें से रेंकने लगता ।
झख मार रहे हैं

यह बात उस समय की है जब बादशाह अकबर और बीरबल घूमते हुए यमुना तट पर पहुंच गए। वहां कुछ मछुआरे मछली मार रहे थे। उनको मछलियां मारते देखकर बादशाह अकबर को भी शौक हुआ, वह भी कांटा डाल मछलियां मारने लगे।
अचानक एक महत्वपूर्ण पैगाम लेकर बीरबल अकबर की बेगम साहिबा के पास जाना पड़ा। वहाँ पहुंचकर उन्हें पैगाम दिया।
तब बेगम ने बीरबल से पूछा - 'बादशाह कहां हैं?'
बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया - 'झख मार रहे हैं।'
बेगम बीरबल के इस तरह उत्तर देने के लहजे से नाराज हुईं। जब बादशाह अकबर महल को लौटे तो बेगम ने बीरबल के गुस्ताखी भरे उत्तर
देने की बात सुनाई और इस गुस्ताखी के लिए बीरबल को सजा देने का आग्रह किया। बीरबल द्वारा अपने प्रति ऐसे अपशब्द सुनकर बादशह
का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा। बेगम ने तभी जले पर और नमक छिड़क दिया - 'आपने बीरबल को इतना मुंह जो लगा रखा है, यह उसी का
नतीजा है।'
इस पर बादशाह अकबर और भी ज्यादा भड़े उठे। तभी उन्होंने सिपाही भेजकर बीरबल को वहीं बुलवाया।
हुक्म पाते ही सिपाही गया और बीरबल को ले आया।
बीरबल के आते ही बादशाह अकबर ने क्रोध से पूछा- 'आज तुमने बेगम से क्या कहा था? बीरबल तुम्हारा दिमाग आजकल बहुत खराब होता
जा रहा है।'
बीरबल एकदम शान्त होकर बोले - 'आलीजहां! बदशाह झख मार रहे हैं, ऐसा कहने की वजह यह थी कि संस्कृत भाषा में मछली को झख
कहते हैं। यदि संस्कृत भाषा में बोलना अपराध है तो क्षमा करें।'
बीरबल के इस उत्तर से बादशाह का क्रोध तुरन्त शान्त हो गया और बेगम भी खुश हो गईं। क्योंकि इसमें बीरबल की कोई गलती नहीं थी।
बेगम और बादशाह अकबर दोनों ने समझने में गलती कर दी।
पूर्णिमा का चांद

एक दिन बीरबल को किसी काम के लिए काबुल जाना पड़ा। वहां उनका पहनावा और चाल-चलन देखकर लोगों को उनका परिचय जानने की अच्छा हुई।
खोजबीन करते लोगों को उनका दिल्ली से आना और भेदिया होना मालूम हुआ। उस देश के बादशाह को उसकी खबर दी गई। बादशाह ने उनको तुरन्त बुलाया और पूछा - 'तू कौन है?'
बीरबल ने कहा - 'मैं यात्री हूं। नए-नए नगरों को देखने की इच्छा से देश-देश में फिरता हूं।'
काबुल के बादशाह ने पूछा- 'तुम देश-देश में फिरने वाले हो तो बताओ हमारे जैसा और भी बादशाह देखने में आया?'
बीरबल बोले- 'जहांपनाह! आप तो पूर्णिमा के चंद्रमा के समान हैं और हमारा बादशाह दूज के चांद के बराबर है।'
काबुल का बादशाह यह सुनकर बहुत खुश हुआ और बीरबल को छोड़ देने का हुक्म देकर बड़े आदर के साथ अपनी सभा में बैठने का स्थान दिया और सभा खत्म होने पर बीरबल को वस्त्र और आभूषण देकर विदा किया। जब बीरबल लौटकर दिल्ली आए तो घरवालों के अनुरोध पर उन्होंने काबुल के सब समाचार उन्हें बताए। यह बात फैलती-फैलती बीरबल के शत्रुओं तक पहुंची और उन्होंने अकबर बादशाह के कान भर दिए।
दूसरे दिन जब दरबार भर गया तब अकबर बादशाह ने बीरबल से पूछा- 'काबुल का सारा हाल विस्तारपूर्वक बताओ?'
बीरबल ने शुरू से लेकर अंत तक जो हुआ था, सब कह सुनाया। जब बादशाह ने काबुल के बादशाह को पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान बड़ा और अपने लिए दूज के चांद के समान सुना तो उन्होंने इसका कारण पूछा।
बीरबल ने तुरंत कहा - 'हुजूर! पूर्णमासी का चन्द्रमा चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, परन्तु उसको कोई नहीं मानता और इसके अतिरिक्त वह दूसरे दिन से ही घटने लगता है जबकि दूज का चांद यधपि छोटा होता है तथापि हिन्दू और मुसलमान सब लोग बड़े प्रेम से उसके दर्शन करते हैं। उगते हुए चन्द्रमा को देखने के लिए कैसे आतुर होते हैं। मुसलमानी महीने का आरम्भ दूज से होता है, नौकर लोग दूज को शुभ मानकर उसी दिन से कार्य आरम्भ करते हैं और सबसे बढ़कर यह है कि वह प्रतिदिन बढ़ता है। अब आप ही बताइए कि काबुल के बादशाह को पूर्णिमा का और आपको दूज का चन्द्रमा बताने में किसकी बड़ाई हुई?''
इस पर अकबर बादशाह बहुत प्रसन्न हुए और सभासद उनकी बुद्धि की प्रशंसा करने लगे।
अंधे अधिक हैं या आंख वाले?

एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल से पूछा कि संसार में अंधे अधिक हैं या आंखवाले?
बीरबल ने कहा - 'हुजूर! आंख वालों की अपेक्षा अंधे अधिक हैं।'
अकबर बादशाह ने पूछा - 'कैसे?'
बीरबल ने कहा - 'किसी दिन आपको दिखा दूंगा।'
दूसरे दिन बीरबल एक व्यक्ति को साथ लेकर बाजार में जा बैठे और जूते गांठने लगे। बीरबल ने उसके हाथ में कलम व कागज पकड़ा रखा था। इतने में ही अकबर बादशाह की सवारी उधर से गुजरी। वहां बीरबल को जूते गांठते देखकर अकबर बादशाह ने पूछा - 'बीरबल! आप यहां क्या कर रहे हैं?'
यह सनते ही बीरबल ने अपने पास बैठे व्यक्ति से कहा - 'अंधे मनुष्यों की नामावली में सबसे पहले अकबर बादशाह का नाम लिखो।'
डस व्यक्ति ने बीरबल की इजाजत से अकबर बादशाह का नाम लिख लिया। फिर थोड़ी देर में बहुत से अमीर-उमराव आए, उनमें से जिन्होंने यह पूछा - 'बीरबल! आप क्या कर रहे हैं?' उनका नाम अंधों की नामावली में लिखा गया और जिन्होंने यह पूछा - 'आप जूते क्यों गांठ रहे हैं?' उनका नाम आंख वाली नामावली में लिखा गया।
इस प्रकार कुछ ही देर में बहुत से मनुष्यों के नाम लिख लिए गए और जब जोड़ा गया तो मालूम हुआ कि अंधों की संख्या अधिक और आंख वालों की संख्या कम है।
बीरबल ने यह नामावली अकबर बादशाह को दिखाई। अकबर बादशाह अंधों की नामावली में सबसे पहले अपना नाम देखा तो बीरबल से पूछा - अंधों की नामावली में मेरा नाम लिखने का क्या कारण है?
बीरबल ने कहा - "जिस समय आपकी सवारी मेरे सामने से होकर निकली, आपने मुझे जूते गांठते हुए देखकर भी अंधों की भांति सवाल किया कि आप क्या कर रहे हैं?'' इसीलिए आपका नाम अंधों की नामावली में सबसे पहले लिखा गया और जिन्होंने आपकी ही तरह सवाल किए, उनका नाम भी अंधोंवाली नामावली में लिख दिया गया। लेकिन जिन्होंने यह सवाल किया कि आप जूते क्यों गांठते है? उनका नाम आंखोंवाली नामावली में लिखा गया।"
पृथ्वी का बीच

एक ख्वाजासरा अकबर बादशाह का बहुत ज्यादा मुंह लगा था। वह हमेशा अकबर बादशाह से बीरबल की बुराई किया करता था और उन्हें दरबार से निकलवाने की कोशिश में था। एक बार उसने इधर-उधर की अनेक बातें करने के बाद अकबर बादशाह से कहा - 'हुजूर! आपने बीरबल को बेकार ही अपने दरबार में रख रखा है।'
अकबर बादशाह बोले - 'वह हर बात का बहुत अच्छा जवाब दे देता है।'
ख्वाजासरा बोला - 'खाक अच्छा जवाब देता है। यदि वह मेरे इन सवालों के जवाब दे ब जानूं।'
फिर उसने सवाल रखे-
- पृथ्वी का बीच कहां?
- तारों की संख्या कितनी है?
- संसार में स्त्री-पुरूष कितने हैं?
अकबर बादशाह ने फौरन बीरबल को बुलाया और इन तीनों सवालों के जवाब पूछे।
बीरबल ने दो-चार पांव इधर-उधर रखकर एक स्थान पर खूंटी गाड़ दी और कहा- 'पृथ्वी का बीच इस जगह पर है, चाहें तो नाप कर देख लें।'
फिर एक भेड़ को पकड़ लाए और उसको अकबर बादशाह के सामने खड़ा करके कहा- 'हुजूर! जितने इस भेड़ के शरीर में बाल हैं, उतने ही आकाश में तारे हैं।'
तीसरे सवाल का जवाब देते हुए बीरबल ने मुस्कराते हुए कहा - 'जहांपनाह! मर्द और स्त्री का हिसाब इन ख्वाजासरों ने बिगाड़ रखा है। ये स्वयं न पुरूष हैं और न स्त्रियां। यदि आप इनको मरवा डालें तो ठीक-ठाक हिसाब लग जाएगा।'
यह सुनते ही ख्वाजासरा वहां से भाग गया। इस बार भी अकबर बादशाह बीरबल की बुद्धी की प्रशंसा किए बिना नहीं रहे।
श्रेष्ठ जल

एक दिन बादशाह ने अपने सभी दरबारियों से प्रश्न किया - 'बता सकते हो कि किस नदी का जल श्रेष्ठ है?'
अधिकांश लोगों ने गंगा के जल को श्रेष्ठ बताया। कुछ ने गोदावरी के जल को।
जब बीरबल से पूछा गया तो वह बाले - 'यमुना का जल श्रेष्ठ है।'
'क्या बात करते हो? दुनिया जानती है कि गंगाजल श्रेष्ठ है, तुम्हारे धर्मग्रन्थ भी यही कहते हैं।'
बीरबल बोले - 'जहांपनाह! मैं गंगाजल को अमृत मानता हूं। इसलिए आप उससे किसी जल की तुलना मत कीजिए। वह तो अमृत है। रही बात नदियों के जल की, सा उनमें तो आपके राज्य की यमुना ही है, जिसका जल सबसे अच्छा है।'
बादशाह मुस्करा कर रह गए। बीरबल के तर्क भी लाजवाब थे।
सांवली अप्सरा और गोरी चुड़ैल

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा - 'हमने न तो अप्सरा देखी है और न कोई चुड़ैल। इनके सिर्फ नाम ही सुने हैं। इन्हें दिखा सकते हो बीरबल?'
'जी हां, आपको अप्सरा और चुड़ैल दोनों दिखा दूंगा।'
'कब ?'
'बहुत जल्दी।'
'सोच लो, न दिखा सके तो सजा मिलेगी।'
बीरबल बुद्धिमान तो थे ही। उन्होंने विचार करने के बाद एक गरीब, कुलीन, मेहनती किसान स्त्री और एक खूबसूरत वेश्या को अपने साथ लिया और बादशाह के दरबार में हाजिर हो गए।
'यह क्या तमाशा है?'
'हुजूर! यह अप्सरा है और यह चुड़ैल है।'
'क्या बात करते हो?'
'यह सांवली स्त्री अप्सरा है और गोरी जो है, चुड़ैल है।'
बादशाह चौंक पड़े और बोले - ‘बीरबल! तुम उल्टी बात कह रहे हो। यह सुन्दरी अप्सरा लगती है।'
'नहीं हुजूर! यह काली स्त्री साक्षात् अप्सरा है, जो अपने पति को सच्चे प्यार से आनन्दित करती है और यह वेश्या चुड़ैल है जो जिस्मफरोशी करती है,‘ लूटती है। इसका धन्धा ही ऐसा है।' बीरबल समझाने लगे।
बादशाह को बीरबल का उत्तर तर्कसंगत लगा। फिर वे मौन हो गए।