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[PDF] Shani Mantra PDF | शनि मंत्र

शनि देव का मंत्र पीडीएफ
Title : शनि मंत्र
Pages : 5
File Size : 216 KB
File format : PDF
Category : Hinduism
Language : Hindi
To read : Download

अच्छी बातें : हर स्वामी को समझना चाहिए कि मैं स्वयं अपने नौकर की जगह पर होता तो मैं क्या विचार करता या चाहता! नौकरों के मन को जानने का उद्यम या प्रयास करो और यथासंभव उनके मन को अतिप्रसन्न करके उनसे कार्य या परिश्रम लो। अपने परिवार का मेंबर चाहे दिन भर बैठा रहे तो नहीं खलता; परन्तु नौकर दस मिनट भी बैठ जाय तो स्वामी को खलना प्रारम्भ हो जाता है। नौकरों को भी उचित अवकाश दो।


लोग अपने कुटुंब वालों के गुजर-बसर और विलास में पानी के समान रूपये खर्च करते हैं; परन्तु नौकरों के भी पेट हैं इस पर वे दिमाग नहीं लगाते। वस्तुतः स्वामी के पास जो कुछ है वह प्रायः नौकरों के उद्योग का फल है। मालिक अपने स्वामित्व में ही संतुष्ट रहे और धन द्वारा नौकरों का उचित पालन करे। पढ़े - महालक्ष्मी मंत्र PDF में

हम नौकरों का पेट काटकर अपने कुटुंब वालों के लिए विलास का द्वार खोलते हैं। और ये परिवार वाले इतने कच्चे हैं कि मोह बनाकर हमें नीचे ले जाने के सिवा ऊपर उठाने वाले नहीं हैं। अतः इन स्वप्न के साथियों के लिए हम मानवता को क्यों तिलांजलि दें!

परिवार वालों को कितनी ही सुविधा दो, न वे प्रायः उसका एहसान या उपकार मानेंगे और न प्रत्युकार करना चाहेंगे; क्योंकि वे तो यह विचारते हैं कि नौकरों को एक अंश भी सुविधा दी जाय तो वे उसका प्रत्युकार अधिक ही करेंगे। नौकरों को खिलाया हुआ कहीं नहीं जाता।

जो नौकर स्वामी के आश्रय व कुटुंब के अंदर रहकर मुलाज़मत करने वाले हैं और वहीं रोटी भी ग्रहण करते हैं अनुसेवी मालिक को चाहिए कि उन नौकरों पर वे अधिक ध्यान दें। उन्हें बासी भोजन तथा जलपान देते रहना उचित नहीं हैं। उन्हें भी ताजा भोजन-जलपान चाहिए। घर में कोई विलक्षण खाद्य पकवान आदि बने या बाहर से लाये जाये तो उनमें से भी नौकरों को अवश्य देना चाहिए।

आपके घर में आपके नौकर का बच्चा या वृद्ध आ जाए तो आप उसका योग्यतानुसार स्वागत करें।

हर मानव व शख़्स को चाहिए कि उसके साथ में जितने विशेषण लगे है- धन विधा, अधिकार, सदगुण आदि उन्हें अपने से विभक्त समझकर अपने आपको एक सरल मानव समझे और नौकरों, अनुगामियों, शिष्यों तथा अन्य लोगों के लघुता जनित समस्त विशेषणों को उनसे हटाकर उन्हें सरल मानव समझे तथा उन्हें अपने में आत्मसात करें।

किसी वस्तु का प्रमाद न धारण करने वाला ही इस लोक में सबके साथ सुन्दर आचरण कर सकता है।

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