इतिहास का शुरूआत उस समय ही हो गया था, जब मनुष्य ने पृथ्वी पर जन्म लिया था; लेकिन मनुष्य के कार्यों तथा उसके जीवन की घटनाओं को हेरोडोटस नामक एक व्यक्ति ने पहली बार एक कहानी के रूप में क्रम में लिखा था। इसलिए हेरोडोटस को ही इतिहास का पितामह कहा जाता है। यहां भारत तथा विश्व इतिहास से जुड़ी अनेक पुस्तकों को डाउनलोड करने के लिए दिया जा रहा है। पढ़े।
- भारत का इतिहास
- संपूर्ण इतिहास ज्ञान
- UPSC के लिए भारतीय इतिहास (NOTES)
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
- मध्यकालीन भारत
- भारत में मुस्लिम शासन का इतिहास
- भारतीय कला संस्कृति के नवीन आयाम
- भारतीय इतिहास की रूपरेखा
- भारत का सांस्कृतिक इतिहास
- भारत का नवीन इतिहास
Only for reading: बुढ़ापा सुखद कैसे बने, यह इस संदर्भ का मुख्य विषय है। नीति लिखा है कि दिन भर ऐसा काम करें कि
रात में सुख की नींद सावे, आठ महीने ऐसा काम करे कि चैमासा वर्षा सुख से कटे, जवानी में ऐसा काम करे कि बुढ़ापा सुखद हो और जीवन भर ऐसा काम करें कि मृत्यु आनंदपूर्वक हो।
ये पुस्तकें भी पढ़े -
पके बाल, दन्त विहीन पोला मुख, झुर्रियों से भरा चेहरा, जरजरा शरीर - इस प्रकार बुढ़ापा बुरा नहीं होता। इसका अपना मनोहर सौंदर्य है। चिकने-कच्चे फल कि अपेक्षा सिकुड़े पके फल मीठे, ज्यादा कीमती और सबको प्रिय होते हैं। किसान, शिल्पी, कलाकार, वकील, डॉक्टर, विद्वान, इंजीनियर, संत आदि यदि वृद्ध है तो दीर्घकालीन अनुभवी होने से सज्जनों के आदर के पात्र होते हैं और समझदार लोग उनसे राय लेते हैं।
बुढ़ापा सुखद हो, इसके लिए जवानी के ही कर्तव्य अच्छे होने चाहिए। राग-द्वेष, घृणा-संताप, प्राणिवैर, झगड़ा, भोगपरायणता आदि रखकर कोई सुखी नहीं हो सकता। अतएव जवानी में ही इन विकारों से रहित रहने का प्रयत्न रखना चाहिए। जवानी में जब घर-परिवार पर अपना अधिकार रहता है, सबसे कोमल, स्नेहपूर्ण, निस्वार्थ, समता युक्त एवं मधुर व्यव्हार होना चाहिए।
जवानी ही में सद्गुरु संतो के प्रति भक्ति, सेवा, सद्ग्रन्थों का स्वाध्याय, सत्संग, सद्विचार आदि का अभ्यास होना चाहिए । भोगों का अधिक से अधिक त्याग, खान-पान वस्त्र-व्यवहार आदि में भी थोड़े तथा सादे में संतोष पूर्वक गुजर करने का प्रयास होना चाहिए।
बुढ़ापा में जब अपना मालीकपन छोड़ दिया जाय, तब उसके साथ अहंकार भी छोड़ दिया जाय। भोगों की इच्छा और क्रिया दोनों का त्याग करना चाहिए। मिलने-जुलने वालों से व्यर्थ कि बातें न कि जाये। बूढ़ा घरवालों कि आलोचना करने से बचे; किन्तु समय पर कभी घरवालों कि अच्छाईयों कि प्रशंसा कर दे। जहाँ तक बन सके शक्ति के अनुसार कुछ काम भी कर ले, जैसे बच्चों को संभाल लेना, उन्हें पढ़ा देना, या योग्यतानुसार अन्य काम भी कर लेना चाहिए ।