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Bhagavad Gita As It Is in Hindi PDF | भगवद्गीता यथारूप

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप
दोस्तों, श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप संपूर्ण जगत में गीता का सर्वाधिक पठित संस्करण है। भगवद्गीता विश्वभर में भारत के आध्यात्मिक ज्ञान के मणि के रूप में विख्यात है। भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा अपने घनिष्ट मित्र अर्जुन से कथित गीता के सारयुक्त 700 श्लोक आत्म-साक्षात्कार के विज्ञान के मार्गदर्शन का अचूक कार्य करते हैं। मनुष्य के स्वभाव, उसके परिवेश तथा अन्ततोगत्वा भगवान् श्रीकृष्ण के साथ उसके सम्बन्ध को उद्घाटित करने में इसकी तुलना में अन्य कोई ग्रन्थ नहीं है। यहां आप भगवद्गीता यथारूप (As It Is) का हिंदी संस्करण PDF में download कर सकते है- DOWNLOAD PDF

कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद् ए.सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद विश्व के अग्रगण्य वैदिक विद्वान तथा शिक्षक हैं और वे भगवान् श्रीकृष्ण से चली आ रही अविच्छित्र गुरू-श्ष्यि परम्परा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस प्रकार गीता के अन्य संस्करणों के विपरीत, वे भगवनान श्रीकृष्ण के गंभीर संदेश को यथारूप (yatharoop) प्रस्तुत करते हैं - किसी प्रकार के मिश्रण या निजी भावनाओं से रंजित किये बिना। सोलह चित्रों से युक्त यह संस्करण निश्चय ही किसी भी पाठक को इसके प्राचीन, किन्तु सर्वथा सामयिक संदेश से प्रबोधित तथा प्रकाशित करेगा।

कुरूक्षेत्र युद्ध में अर्जुन अपने सामने भीष्म, गुरू द्रोण एवं अन्य बन्धु-बान्धवों को देखता है तो वह मोहवश व्याकुल हो जाता है। उसका गांडीव (धनुष) उससे उठ नहीं पाता। ऐसी परिस्थिति में उसके रथ के सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण उसे जो उपदेश देते है वही उपदेश श्रीमद्भगवद्गीता में हैं। ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन‘ इस समस्त गीता का सार तत्व है। श्रीकृष्ण कहते हैं-

"हे अर्जुन! तू मोह में न पड़, भविष्य की चिन्ता मत कर क्योंकि फल तेरे हाथ में नहीं है। तू जिनके प्रति अनुरागी हो रहा है वह असत्य का साथ दे रहे हैं और तेरा कर्म है असत्य से युद्ध करना। बिना किसी व्यक्तिगत रूचि, मोह अथवा आवेश के परिस्थिति के अनुरूप उपयुक्त मार्ग का अनुसरण करना ही तेरा कर्तव्य है। तू कर्मवीर बन और कर्म कर।"

ये ग्रन्थ भी PDF में download करें-

  1. संपूर्ण महाभारत
  2. वाल्मीकि रामायण
  3. श्रीरामचरितमानस

यह सुनते ही अर्जुन के ज्ञान चक्षु खुल गये। उसने गांडीव को उठा लिया। परिणाम की चिन्ता छोड़ दी। अतीत की यादें भुला दीं। सामने जो कर्म था वह युद्ध किया। उसके निष्काम कर्म का फल उसकी विजय के रूप में सामने आया।

गीता में कुल 18 अध्याय एवं 700 श्लोक हैं। इसके महत्व को समझते हुए। 1785 ई. में चार्ल्स विल्किन्स ने भगवद्गीता का अंग्रेजी में अनुवाद किया था।

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