श्री गुरु ग्रंथ साहिब की प्रार्थना 'जपजी साहिब'श्री गुरु नानक देव जी द्वारा सन् 1604 लिखी गई अमृतवाणी है। इसमें महत्वपूर्ण तत्वज्ञान संबंधी बातों को संक्षिप्त में काव्यगत भाषा में लिखा गया है। इसमें वेदान्त के ज्ञान का प्रकाश है। इसका अलौकिक दर्शन मनुष्य के जीवन का चिंतन है। इस रचना में धर्म की सच्चाई और चिरस्थायी मूल्यों को मन को भाने वाले ढंग में लिखा गया है। यहां गुरू नानक देवी जी की अमृतवाणी Japji Sahib को हिंदी में pdf बुक में दिया जा रहा है -
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जपजी में लिखा गया पहला शब्द एक बीज मंत्र है ठीक उसी प्रकार
जिस प्रकार वेदों तथा गीता में ॐ का प्रयोग एक बीज मंत्र के रूप में किया गया है।
पूरे जपजी को मुख्य रूप से 4 हिस्सों में बांटा गया है - प्रथम 7 , आगे के 20 छंद, उसके बाद के 4 छंद एवं बाकी के 7 छंद। सारे 38 छंद विभिन्न काव्यात्मक छंदों में हैं।
पहले 7 पदों में अध्यात्म की खोज करने वाली जीव की आत्मा की समस्या को समझाने का प्रयास किया गया है। दूसरा भाग पढ़ने वाले को आगे साधना के पथ पर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। इसमें जीव की आत्मा को ब्रह्म सत्य का साक्षात्कार होता है।
तीसरे भाग में उस मनुष्य के विषय में बताया गया है, जिसने अध्यात्म का स्वाद चख लिया है। प्रार्थना के अंतिम हिस्से में सारी साधना का सारांश बताया गया है, जो अपने आप में बहुत मूल्यवान है।
जपजी साहिब गुरु नानक देव जी की अमृतवाणी के साथ-साथ एक सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक रचना भी है। इसकी प्रश्न-उत्तर शैली पढ़ने वाले के मन पर एक कभी न मिटने वाली छाप छोड़ती है। इस प्रार्थना में खुद Guru Nanak जी ने पाठक के मन के प्रश्नों को पूछ के उसका तर्कपूर्ण उत्तर दिया है।
श्री गुरु नानक देव जी एक महान गुरु थे। इसलिए उन्होंने परमात्मा के संदेश को आम लोगों तक प्रसारित करने के लिए इसमें आम बोल-चाल की भाषा का अधिक उपयोग किया गया है। जपजी की भाषा नानक देव जी के समय की संतों की भाषा कही जा सकती है, जिसमें कई जगह ब्रजभाषा का उपयोग भी दिखता है।