Msin.in
Powered by Blogger

[PDF] Swami Vivekananda Biography in Hindi PDF (Free Download)

विवेकानंद जी की जीवनी
Title : स्वामी विवेकानंद की जीवनी
File Size : 4.07 MB
Author : msih.in
Language : Hindi
Pages : 15
To read : Download


प्रेरक अनुच्छेद : पवित्र हृदय से घृणा एकदम निकल जाती है, अतएव पवित्र हृदय प्रेम से एकदम लबालब भरा होता है। उच्च कोटि का पवित्रहृदय व्यक्ति किसी से केवल कारणवश प्रेम नहीं करता, अपितु उसके पास केवल प्रेम है ही इसलिए उसका स्वभाव ही प्रेम करना।


जब उसके हृदय में घृणा है ही नहीं, तो किसी के लिए उसका प्रयोग कैसे हो सकता है! हां, किसी के दुस्स्वभाव से उसकी उपेक्षा कर देना अलग बात है।

स्वार्थी हृदय प्रेम से शून्य होता है। इसलिए उसे हर क्षण यही दिखता देता है कि हमारे आश्रयी हमसे प्रेम नहीं कर रहे हैं। जो व्यक्ति स्वार्थासक्ति को छोड़ देता है, वह प्रेम का सागर होता है। वह सबको निस्वार्थ भाव से प्रेम लुटाता फिरता है। उसको यह कभी प्रतीत ही नहीं होता कि लोग हमसे प्रेम नहीं कर रहे हैं। जो भोजन करके तृप्त होगा वह भोजन की कामना क्यों करेगा! जिसके पास रूपयों का विशाल कोष है, बेशुमार खजाना है, वह लोगों से कौड़ी-कौड़ी क्यों चाहेगा! इसी प्रकार जो निस्स्वार्थ और पवित्र हृदय होने से स्वयं प्रेम का अथाह सागर हो गया है और जो अपने प्रेम की भीख मांगेगा। क्या वह कभी शिकायत करेगा कि हमें लोग प्रेम नहीं दे रहे हैं! जो सदैव दूसरों को आदर देता रहता है, वह क्या अपने आदर का भूखा होगा!

More : Download Hindi Books of Vivekananda (PDF)

जो लोग कहा करते हैं कि हमारे प्रति लोग श्रद्धा नहीं करते, हमें प्रेम तथा स्नेह नहीं देते, वे बेईमान हैं, क्योंकि ऐसे लोग स्वयं श्रद्धा-प्रेम से खाली होते हैं। वे दूसरे को शुद्ध श्रद्धा-प्रेम नहीं देना चाहते और दूसरों से अपने लिए उसे हर क्षण चाहते रहते हैं। जो लोग शिकायत किया करते हैं कि लोग हमें आदर-प्रेम नहीं देते, वे स्वयं धोखे में हैं। श्रद्धा-प्रेम से भरे व्यक्ति को यह प्रतीत ही नहीं होगा कि लोग हमारे प्रति श्रद्धा-प्रेम नहीं रख रहे हैं।

हम स्वार्थ और अहंकार के कारण बड़े क्रूर हो गये हैं। हम दूसरे के दोषों और अपने गुणों को देखने के लिए हजारों आंखों वाले हो जाते हैं और दूसरे के गुणों एवं अपने दोषों को देखने की बात आये तो हमारे भीतर-बाहर की चारों आंखें फूट जाती हैं। ऐसी स्थिति में न समन्वय हो सकेगा न शांति।

दो भाई थे। ऊपर से घी का घड़ा उतारना था। बड़ा भाई ऊपर चढ़कर घी का घड़ा उतारा और नीचे खड़े छोटे भाई को पकड़ाया। घी का घड़ा दोनों के हाथों से गिरा और फूट गया। घी खराब हो गया। बड़ा भाई कहता "मुझसे गलती हुई। मैंने ठीक से पकड़ाने से पहले छोड़ दिया, इसलिए मेरी गलती है।" छोटा भाई कहता "भैया गलती मेरी है। मैंने ठीक से सम्भाला नहीं।"

More: एक योगी की आत्मकथा (PDF)

अब बताओं, झगड़ा कैसे होगा! झगड़ा तब होता जब एक कहता "तू बड़ा मूर्ख है। तूने इतनी लापरवाही की और घड़ा नहीं सम्भला। घी खराब कर डाला।" दूसरा कहता "भूल आपने की, दोष मुझे लगाते हैं। आपकी ही गलती से घी खराब हुआ है।" परन्तु यहां तो दोनों अपने-अपने दोष देखते हैं और दूसरे में सद्गुण। फिर कौन झगड़ा करे!

अच्छाइयों को लेकर ही समन्वय हो सकता है, बुराइयों को लेकर कभी एकता नहीं हुई है। अतएव जितने व्यक्तियों से आपका सम्पर्क हो उनसे एकता बनाये रखने के लिए उनकी अच्छाइयों को देखना तथा उनके प्रति अगाध प्रेम का भाव रखना ही अत्यन्त श्रेयस्कर है।

अतएव आवश्यकता है अपने आपको संकुचित भावनाओं से ऊपर उठने की। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने हृदय में प्रेम की भावना करे। वह प्रेम से भर जाए। मानव मात्र के लिए वह प्रेम से आप्लावित हो और जीव मात्र के लिए दया से पूर्ण!

Home » PDF

Popular

  • पंचतंत्र की 27 प्रसिद्ध कहानियाँ
  • तेनालीराम की चतुराई की 27 मजेदार कहानियां
  • संपूर्ण गीता सार - आसान शब्दों में जरूर पढ़े
  • स्वामी विवेकानंद की 5 प्रेरक कहानियाँ
  • श्रेष्ठ 27 बाल कहानियाँ
  • Steve Jobs की सफलता की कहानी
  • महापुरूषों के प्रेरक प्रसंग
  • बिल गेट्स की वो 5 आदतें जिनसे वे विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति बनें
  • शिव खेड़ा की 5 प्रेरणादायी कहानियाँ
  • विद्यार्थियों के लिए 3 बेहतरीन प्रेरक कहानियाँ
  • दुनिया के सबसे प्रेरक 'असफलताओं' वाले लोग!

Advertisement


eBooks (PDF)

  • संपूर्ण सुन्दरकाण्ड (गीताप्रेस) (PDF)
  • संपूर्ण चाणक्य नीति (PDF)
  • अभिज्ञान शाकुन्तलम् - कालिदास (PDF)
  • श्रीमद्भगवद्गीता (गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित) (PDF)
  • शिव ताण्डव स्तोत्र अर्थ सहित (PDF)
  • दुर्लभ शाबर मंत्र संग्रह (PDF)
  • श्री हनुमान बाहुक (PDF)
  • श्री दुर्गा सप्तशती (PDF)
  • श्री हनुमान चालीसा (अर्थ सहित) (PDF)
  • संपूर्ण शिव चालीसा (PDF)
  • एक योगी की आत्मकथा (PDF)
  • स्वामी विवेकानंद की प्रेरक पुस्तकें (PDF)
  • संपूर्ण ऋग्वेद (PDF)
  • संपूर्ण गरुड़ पुराण (PDF)
  • भगवद्गीता के सभी 18 अध्याय

Important Links

  • हमारे बारे में
  • संपर्क करें

©   Privacy   Disclaimer   Sitemap