डायरी में निजी अनुभव, प्रतिदिन घटित होने वाली घटनाओं का लेखा-जोखा, तथ्य-संग्रह, संपर्क में आए व्यक्तियों, नए अनुभवों, नए स्थानों, नयी घटनाओं आदि का संक्षिप्त विवरण होता है। इसलिए इसे दैनंदिनी भी कहते हैं। इसे लिखने के पीछे लेखक की मंशा जीवन में घटित घटनाओं को लंबे समय तक याद रखना होता है।
इस प्रकार -
जब कोई व्यक्ति दिनभर की घटनाओं और अनुभवों को क्रमबद्ध रूप से लिखता है तो उसे डायरी लेखन कहते हैं।
डायरी की विशेषताएँ
- डायरी में प्रतिदिन की घटनाएँ कलात्मक ढंग से लिखी जाती हैं।
- डायरी में उन्हीं घटनाओं का विवरण रहता है, जो व्यक्ति को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं।
- मन पर पड़े प्रभाव डायरी में उसी दिन लिख दिए जाते हैं।
- डायरी में संक्षिप्तता रहती है, विस्तार नहीं होती।
- डायरी एक तरह की आत्मकथा का ही रूप होती है।
- डायरी पूरी सच्चाई और ईमानदारी से लिखी जाती है।
- प्रायः स्थान आदि का विवरण अवश्य होता है।
यहाँ डायरी-लेखन के कुछ उदाहरण (examples) दिए जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर समझिए-
15 जनवरी, 2013
रात्रि 10 बजे
आज मैं पूरे दिन व्यस्त रहा। अपना होमवर्क पूरा किया। विद्यालय में एक भाषण प्रतियोगिता थी, उसमें भाग लिया। आज भी भाषण प्रतियोगिता का विषय था - परिश्रम का महत्व। मैंने बताया - सफलता प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण साधन है - परिश्रम। जीवन की इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करना है तो परिश्रम ज़रूरी है। जो व्यक्ति परिश्रम नहीं करता, उसका जीवन बेकार हो जाता है। वह आलसी और रोगी हो जाता है।
सबने एक स्वर में स्वीकार किया श्रम करने वाला ही यश पाता है। श्रम के बल पर लोगों ने बड़े-बड़े साम्राज्य खड़े किए हैं।
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12 अगस्त, 2013
रात्रि 11 बजे
कल की तरह आज भी पूरे दिन बिजली नहीं आई। शाम को सात बजे बिजली ने दर्शन दिए, लेकिन 10 मिनट बाद ही चली गई। इनवर्टर की कम रोशनी में डायरी लिख रहा हूं। कई दिन से बिजली की आँख-मिचैली चल रही थी। बार-बार आती थी और जाती थी किंतु कल से तो कई-कई घंटों तक बिजली न आने से जन-जीवन ठप्प हो गया है। बिजली नहीं तो पानी नहीं। बरसात की उमस में बेहाल तन, पसीने से तर-बतर शरीर, कैसे कटेगी रात। हमारे विद्यालय में तो जरनेटर लगा हुआ है लेकिन वह भी कितना काम करेगा।
घर पर कंप्यूटर और टेलीविजन बंद पड़े हैं। इतना हुआ कि पहले हम सब लोग अलग-अलग कमरों में बैठकर अपने-अपने काम में व्यस्त रहते थे। आपस में मिलने का समय कम ही मिलता था। अब सब लोग एक ही कमरे में एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, गपशप करते हैं और बिजली के साथ-साथ नगर और देश की घटनाओं पर चर्चा करते हैं।
परेशानी में भी सुख खोजने की स्थिति पर हम सब मिलकर हँसते रहते हैं।
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10 मार्च, 2013
परीक्षा भवन देर से पहुंचा। रास्ते में बस खराब हो गई थी। परीक्षक के धैर्य बँधाया और प्रश्न-पत्र पकड़ाया तो थोड़ी राहत मिली। लेकिन प्रश्न-पत्र पढ़कर ऐसा लगा जैसे दिमाग सुन्न पड़ गया है। कुछ याद नहीं आ रहा था। मन रोने को कर रहा था। तभी अपने-आप न जाने कहाँ से हिम्मत जुटा फिर से प्रश्न-पत्र पढ़ा तो कुछ हिम्मत आई कि केवल प्रश्नों का रूप बदला है। जो प्रश्न याद किए थे, ये प्रश्न भी लगभग वैसे ही हैं। चेहरा खिल उठा और फिर मैंने उत्तर लिखना शुरू कर दिया। आज का पेपर भी अच्छा हुआ है। उम्मीद है अच्छे अंक आ जाएँगे।
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अब इन निम्नलिखित विषयों पर डायरी लिखने का अभ्यास करें-
- अप्पू घर के मनोरंजक अनुभव को डायरी में लिखिए।
- प्रथम आने पर मन के भावों को डायरी के रूप में लिखिए।
- मुंबई के जुहू बीच का अनुभव डायरी में लिखिए।
- अपने भाषण देने के अनुभव को डायरी में लिखिए।
- टी.वी. पर आने वाले अपने मनपसंद कार्यक्रम पर डायरी लिखिए।
- पहली रेलयात्रा के अनुभव को डायरी में लिखिए।