एक जंगल में बरगद के पेड़ पर बहुत सारे सारस रहते थे। पेड़ के कोटर में एक नाग भी रहता था। प्रतिदिन वह सारस के बच्चों को उनके पंख उगने से पहले ही खा लिया करता था। एक दिन एक मां सारस ने नाग को बच्चों को खाते देख लिया। दुःखी होकर वह विलाप करने लगी। एक केकड़े ने उसे रोते देखकर पूछा, "बहन क्यों रो रही हो? क्या हुआ है? यदि बताओगो तो संभवतः कुछ मदद कर पाऊं।"
मां सारस ने केकड़े से कहा, "मित्र! इस पेड़ के कोटर में रहने वाले नाग ने मेरे बच्चों को खा लिया है। मैं नाग से अपने बच्चों को किस प्रकार बचाऊं कुछ समझ नहीं आ रहा है।"
यह सुनकर केकड़े ने सोचा, "ये सारस तो हमारे शत्रु हैं। मैं इनकी सहायता क्यों करूं? इनसे बदला लेने का यह सुअवसर है।"
उसने सारस से कहा, "मित्र! मेरे पास एक युक्ति है पास में ही एक नेवला रहता है। मछली के टुकड़े नाग के कोटर से लेकर नेवले के बिल तक डाल दो। नेवला मछली के पीछे-पीछे पेड़ से कोटर तक आएगा और नाग को देखकर मार डालेगा।"
सारस ने केकड़े की सलाह मान ली। युक्ति के अनुसार नेवला मछली उठाते-उठाते कोटर तक आया और भीतर जाकर सांप को मार डाला। धीरे-धीरे एक-एक कर पेड़ पर रहने वाले सभी सारसों को भी मार डाला।
शिक्षा (Panchatantra Story's Moral): समस्या का समाधान मित्र द्वारा होता है, शत्रु के द्वारा नहीं।
पंचतंत्र की कहानियाँ (Stories Collection)