3 Best hindi moral stories for class 4.
#1 Class 4 Story : अंतिम परीक्षा प्रेम की
नालंदा विश्वविद्यालय विश्वभर में प्रसिद्ध था। देश-विदेश के हजारों छात्र यहाँ शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा पूरी करने में अक्सर छात्रों को कई बार बरसों लग जाते। शिक्षा पूरी होने पर एक की कसौटी थी कि जब गुरू कह दें कि हो गई तुम्हारी शिक्षा। तीन छात्र आखिरी परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके थे मगर गुरू जाने के लिए नहीं कह रहे थे।
आखिर छात्रों ने स्वयं ही गुरू से पूछ लिया - ''गुरू जी, हमारी आखिरी परीक्षा कब की हो चुकी मगर हमें जाने की अनुमति नहीं दी जा रही।''
गुरू बोले - 'आज शाम तुम जा सकते हो।'
शाम को तीनों छात्र विदा हुए। नगर दूर था। रात होने से पहले वहाँ पहुंचना था। छात्रों को जिस पगडंडी से होकर गुजरना था, वहाँ गुरू ने पहले से ढेर सारे काँटे बिछा दिए थे और खुद पास की झाड़ी में छुपकर बैठ गए थे। दो छात्रों ने काँटों पर से छलाँग लगा ली। मगर तीसरा रूक गया और काँटों को बीनकर झाड़ी में डालने लगा। बाकी दो छात्रों ने उससे कहा- 'यह क्या कर रहे हो? जल्दी ही रात हो जाएगी। हमें दूर जाना है। बीच में घने जंगल हैं। वहाँ से रात को गुजरना खतरनाक है। ये काँटे-बाँटे बीनने में समय न गुजारो।'
उस पर तीसरे छात्र ने कहा - 'सूरज डूबने वाला है, रात होने वाली है। हमारे बाद जो भी आएगा उसे दिखाई नहीं पडे़गा कि यहाँ हैं। इसलिए इन्हें बीनना ही पडे़गा। तुम चलो। मैं बाद में आऊँगा।'
तभी वे चौंके क्योंकि गुरू झाड़ी से बाहर निकल आए। गुरू ने कहा - 'दो छात्र जो चले गए हैं, वे वापस आएँ। वे परीक्षा में असफल हो गए हैं। अभी उन्हें कुछ बरस और रूकना पडे़गा। तीसरा, जो रूक गया था, वह जा सकता है। वह अंतिम परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया है। क्योंकि अंतिम परीक्षा तो प्रेम की है, पांडित्य की नहीं।'
#2 Class 4 Story : बुद्धी का प्रयोग
एक दिन एक शिकारी अपने परिवार के लिए भोजन का प्रबंध करने जंगल में गया। उसे एक हिरनी दिखी तो वह उसे मारने दौड़ा। हिरणी प्राण रक्षा के लिए दौड़ती जा रही थी और शिकारी भी पूरी रफ्तार के साथ उसके पीछे भाग रहा था। रास्ते में एक पेड़ के नीचे एक तपस्वी मिला। शिकारी ने उसे देख अत्यंत क्रोध से पूछा- 'ऐ बूढ़े, सच-सच बताना। क्या इधर से कोई हिरनी जाती हुई दिखी है। मैं उसे मारने के लिए उसका पीछा कर रहा हूं। उसे मार कर मैं अपने परिवार की भूख मिटाऊँगा।'
तपस्वी ने कहा -
''जिस आँख ने देखा है वह बोल नहीं सकती और जो मुख बोल सकता है उसने कुछ देखा ही नहीं।''
यह सुनकर शिकारी सोच में पड़ गया। उसका क्रोध जाता रहा। तब तपस्वी ने उसे समझाते हुए कहा - 'बुद्धीपूर्वक कर्म करने से दूसरे के प्राणों की रक्षा की जा सकती है। मैंने बुद्धीपूर्वक उत्तर देकर सत्य का पथ भी नहीं छोड़ा और हिरनी की जान भी बचाई। तुम भी बुद्धी का प्रयोग कर अपने परिवार का भरण-पोषण करो। हिंसा का रास्ता त्याग दो।'
शिकारी ने वैसा ही करने का वचन दिया।
#3 Class 4 Story : कर्म ही सब कुछ है
तीन भाई अपने घर के दरवाजे पर बैठे थे। तभी वहाँ एक साधु आया और उपदेश देने लगा - ''वत्स, संसार में संतोष ही सुख है। जो व्यक्ति कछुए की तरह अपने हाथ-पाँव समेटकर आत्मलीन हो जाता है और सब कुछ भगवान पर छोड़ देता है, उसे किसी किस्म का दुख नहीं होता।''
घर के भीतर बुहारी लगा रही उन लड़कों की माँ के कानों में यह उपदेश पड़ा कि उसके कान खड़े हुए। वह तुरंत बाहर आई और छोटे बेटे से बोली- 'ले यह घड़ा और पानी भरकर ला।'
फिर मझले से कहा - 'उठा यह झाडू और घर-बाहर की बुहारी कर।'
अंत में बड़े बेटे को टोकरी थमाते हुए कहा - 'तू चल और सारा कूड़ा उठाकर बाहर फेंक।'
तीनों को काम में लगाने के बाद गृहणी साधु की ओर देखकर बोली - 'महाराज! कुछ न करने वाले मैंने बहुत देखे हैं, कोई पड़ोस में बीमार पड़ा है, कोई कर्ज से दबा पड़ा है, और कोई इसलिए गरीब है कि काम होते हुए भी उसे छोटा समझकर नहीं करता। आप कुछ नहीं करते तो न करें, लेकिन यह विष मेरे बच्चों को न पिलाएँ। आपका प्रयास निरर्थक है।'
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