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हिंदी कहानी लेखन व विधि, उदाहरण तथा अभ्यास सहित


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सृष्टि के शैशव काल में जब से मानव ने होश संभाला तभी से कहानी सुनने की प्रवृत्ति उसके मन में जागी। यह मन को रिझाने, दिल को हौले-हौले सहलाने और मन को गुदगुदाने का कार्य करती थी। कहानी पढ़ने-सुनने लिखने की एक सुदीर्घ परम्परा है। कहानी समान भाव और चाव से सभी उम्र के बच्चे, युवा, वृद्ध सुनना या पढ़ना चाहते हैं। इस वजह से साहित्य की अन्य विधाओं की अपेक्षा कथा लेखन की लोकप्रियता अत्यधिक है।

कहानी क्या है ?

परिभाषा- कहानी की परिभाषा देना कठिन कार्य है। फिर भी कहानीकारों और विद्वानों ने इसे परिभाषा के चौखटे में बाँधने का प्रयास किया है। भारतीय गाँव की गीता गाने वाले, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद ने कहानी को इस प्रकार से परिभाषित करने का प्रयास किया है-


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कहानी के सम्बन्ध में प्रमुख बातें (Important Points of Hindi Story)

  • कहानी ने अपनी यात्रा के क्रम में अनेक पड़ावों पर विश्राम किया है पर उसकी गति कभी भी अवरूद्ध नहीं हुई है। हाँ एक बात हुई है अवश्य और वह यह कि समय के अनुसार इसके रूप-विन्यास और रचना-प्रक्रिया में परिवर्तन हुआ है। वही इसकी प्रगतिशीलता की जीती-जागती निशानी है। देव-दानव, मानव, पशु-पक्षी, कीट-पतंग, इहलोक-परलोक आदि सभी की कहानियाँ कमो-वेश, सभी, भाषाओं में मिलती हैं। पर समय के साथ इसमें परिवर्तन होता है। वे मात्र मनोरंजन या उपदेश देने के लिए लिखी जाती थी।

  • आज की कहानियों में न तो कथावस्तु, न चरित्र-चित्रण, न उपदेश आदि की प्रमुखता रहती है। आज की कहानियाँ मानव मन की उलझी गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास करती है। कौतूहल और मनोरंजन की जगह आज का प्रबुद्ध पाठक कहानियों में अपने मानसिक अन्तर्द्वन्द्वों को पकड़ने की कोशिश करता है। फिर भी मनोरंजकता पूरी तरह समाप्त नहीं हो पायी है।

  • मनुष्य आज अंधविश्वासों की भूमिका में भटकने के बजाय अपने पुरूषार्थ पर अधिक भरोसा करने लगा है। भाग्य को वह चुनौती देता हुआ प्रतीत हो रहा है। अतः आज की कहानियों में जीवन के संघर्षों का पक्ष सबल है।

  • आज की कहानियों में बोलचाल की भाषा पर विशेष बल दिया जाता है, आलंकारिक भाषा अब कम ही लोगों की लेखनी से निकल पाती है।

  • पहले की कहानियाँ प्रायः सुखान्त होती थीं पर आज की कहानियों में दुखान्त की स्पष्ट झलक मिलती है। मानव-जीवन की समस्याएँ और संघर्षों का लेखा-जोखा आज की कहानियों की प्रमुख विशेषता है।

कहानी लेखन की विधियाँ (Process of Hindi Story Writing)


प्रौढ़ और मँजे हुए कहानीकारों की तरह आज के छात्रों से कहानी लिखने की उम्मीद करना बेकार है। फिर भी छात्रों को कहानी लिखने का प्रयास करना चाहिए। लिखने से ही उनकी सृजनात्मक क्षमता विकसित होगी और भविष्य के वही आशा बनेंगे। छात्रों को चार विधियों से कहानी लिखने का प्रयास और अभ्यास करना चाहिए।

  1. कहानी की सहायता या उसके आधार पर कहानी लिखना।
  2. पहले रूपरेखा खड़ी कर तब लिखना चाहिए।
  3. अधूरी कहानी को पूरी करने का अभ्यास करना चाहिए।
  4. चित्रों की सहायता से कहानी लिखने का अभ्यास करना चाहिए।



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कहानी के आधार पर कहानी लिखना

किसी कहानी को बार-बार पढ़कर उस कहानी में सन्निहित प्रमुख विचार-बिन्दुओं को कागज पर लिख लेना चाहिए। पुनः उन्हीं तथ्यों के आधार पर अपने कथ्य को सजाना-सँवारना चाहिए। मूल कहानी का महत्पूर्ण तथ्य पुनर्लेखन में नहीं छूटना चाहिए। कथावस्तु, चरित्र-चित्रण कुछ भी जो उसमें महत्वपूर्ण अंश हो उसको छोड़ना नहीं चाहिए। निम्नलिखित बातें ध्यान में रखी जा सकती हैं-

  1. आरंभ रोचक हो।
  2. संवाद छोटे पर पर स्वाभाविक, सरल और भावपूर्ण हो।
  3. कहानी का क्रमिक विकास होता जाय।
  4. अन्त प्रभावोत्पादक और स्वाभाविक हो।
  5. कहानी का शीर्षक पहले वाली कहानी का ही हो। भाषा, सरल, सुगम और सुबोध हो।

संकेतों या रूपरेखा के आधार पर कहानी लेखन

कहानी की रूपरेखा पर कहानी लिखना जितना सरल है उतना ही कठिन भी। कहीं-कहीं पर कहानी के संकेत सूत्रात्मक होते हैं जिन्हें पल्लवित करने में छात्र अपने को असमर्थ पाते हैं। इसके लिए कल्पना और मानसिक व्यायाम की आवश्यकता है। सरलता इसलिए कि प्रमुख विचार बिन्दु पहले से दिए रहते हैं उन्हें छात्र सरलता से पल्लवित कर देते हैं। कभी-कभी तो ऐसा देखा गया है कि दो बिन्दुओं के बीच की खाली जगह में ही कुछ शब्द भर देते हैं। पर यह उनकी अल्पज्ञता का घोतक है। कहानी लिखने के लिए छात्रों को कल्पक भी होना चाहिए। बीच के छोड़े या लुप्त तथ्यों को उन्हें कल्पना से भरना चाहिए। उन संकेतों को सावधानी से पढ़ना चाहिए और तब उन्हें विस्तार देना चाहिए। इसके लिए छोत्रों में संवेदनशीलता और कल्पना-प्रवणता का गुण होना आपेक्षित है।

संकेत

नटखट लड़का- ''भेड़िया आया, भेड़िया आया'' चिल्लाना-आसपास से उसकी रक्षा के लिए लोगों का दौड़ आना- लेड़के को मजाक और आनन्द का अनुभव-सहायकों का निराश लौटना-वास्तव में भेड़िया का आना-पुनः चिल्लाना-सहायकों का नहीं आना-लड़के का भेड़िया के द्वारा खाया जाना।

उदाहरण [Hindi Story Writing Example]
एक था लड़का। था वह नटखट, चालबाज और धोखेबाज। वह यदाकदा 'भेड़िया आया, भेड़िया आया' कहकर चिल्लाता था। खतरे के जाल में फँसे उस लड़के की प्राण रक्षा के लिए अड़ोस-पड़ोस से बहुत व्यक्ति उसकी सहायता के लिए अपने कामकाज को छोड़कर दौड़ पड़ते। जब लोगों की भीड़ एकत्र हो जाती तो वह खिलखिला कर हँस पड़ता। लोग उसे देखकर भौचक्के हो जाते। पुनः आक्रोश को शांत करते हुए बच्चे की नादानी पर तरस खाते हुए लौट जाते। पुनः लड़का वैसा ही करता पर दो-तीन बार के बाद लोगों का आना बंद हो गया। सचमुच ही एकबार भेड़िया आया। लड़के ने आर्त्तस्वर में पुकारा। पर कोई भी उसकी सहायता के लिए नहीं आया क्योंकि लोगों ने समझा कि यह तो उसकी आदत है। झूठ ही ऐसा करता है। झूठे पर कोई विश्वास नहीं करता। एक दिन भेड़िया सचमुच आया और लड़के को खा गया। उस लड़के की तरह जो भी करते हैं उन्हें कुत्ते की मौत मरना पड़ता है।

अपूर्ण कहानी को पूरा करना

जो कहानियाँ अपूर्ण या अधूरी रहती हैं उन्हें छात्रों से पूरी भी करायी जाती हैं। इससे छोत्रों में सृजनात्मक शक्ति के अतिरिक्त कल्पना-शक्ति भी प्रौढ़ होती है। इस प्रकार की अपूर्ण कहानियों को मनोयोग पूर्वक दो-चार बार पढ़ना चाहिए। क्रमों को समझकर सूझ-बूझ से कल्पना के सहयोग से छूटी कहानियों को छात्रों के द्वारा पूरी करवाना चाहिए।

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उदाहरण
एक ऋषि थे। परोपकार उनके जीवन का मधुमय लक्ष्य था। नदी में स्नान करने एक दिन तड़के गये। अंधकार शनैःशनै तिरोहित होता जा रहा था। प्रकाश की किरणें क्रम से फैलती जा रही थीं। त्योंही नदी के जल में ऋषि ने प्रवेश किया उसे एक बिच्छू पानी में डूबता दिखाई पड़ा। ऋषि के हृदय में करूणा की वेगवती धारा फूट पड़ी। परोपकार की भावना लहराने लगी। बिच्छू बड़ा ही विषैला है। उसके डंक से विष हमारे शरीर में व्याप्त हो जाएगा और कष्ट तो होगा ही। प्राण पखेरू भी उड़ सकते हैं। इन सभी की जानकारी के बावजूद भी ऋषि ने अपने हाथ में उस बिच्छू को पानी से छान लिया। बिच्छू अपने स्वभाव के अनुकूल, प्राणसंकट में रहने पर भी, डंक मारने से बाज नहीं आता। ऋषि ऐसा बार-बार करता पर बिच्छू का डंका मारना नहीं छूटता।

यदि इस तरह की अपूर्ण कहानी हो तो छात्र को अपनी कल्पना से पूरा करना चाहिए। अधूरी कहानी को बहुत ढंग से पूरी की जा सकती है। इससे अनेक रूप हो सकता हैं। रूप की विविधता के बावजूद भी कहानी सही मानी जानी चाहिए।

अभ्यास

निम्नांकित संकेत के आधार पर कहानी लिखिए-
  • शिक्षक दो छात्र-दोनों पैर दबाते-पैर का बँटवारा-दूसरे शिष्य के दाबने वाले पैर के प्रति पहले छात्र के हृदय में ईर्ष्या-दूसरा छात्र अनुपस्थित-पहला छात्र का पत्थर का बड़ा टुकड़ा उठाकर दूसरे छात्र वाले पैर पर पटकना।

  • एक राजा की तीन कन्याएँ- सयानी होने पर एकान्त महल में निवास- राजा का गुप्त रूप से बात सुनना-रोशनी गुल होना। लड़कियों की आपस में बातचीत-पहली-जा रहा है-दूसरी वह नहीं है- तीसरी-वह रहता तो जाता क्यों?- राजा को शंका-एकान्त महल का सिपाहियों से घेराव। सुबह में रहस्योद्धाटन-जा रहा है- दीपक बुझ रहा है। वह नहीं है- तेल नहीं है। वह रहता तो जाता क्यों-दीपक बुझता क्यों? रहस्योद्घाटन के बाद राजा को ग्लानि।

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