एक खेत में कपास के बहुत से पौधे लगे हुए थे। उनमें से एक छोटा-सा पौधा बहुत ही सुंदर था। उसके रूई जैसे फूल बड़े ही सुंदर लगते थे। रात को जब ओस की बूँदें गिरती थीं तो पौधा और भी सुंदर लगने लगता था। वह हमेशा खुश रहता था। उसे गर्व था कि वह एक कपास का पौधा था। इसीलिए उसके फूल भी अपने ऊपर गर्व करते थे।
फिर एक दिन उसे तोड़ लिया गया। उसके फूलों को तरह-तरह की मशीनों में डाला गया। मशीनों के अंदर कभी फूलों को दबाया गया तो कभी खींचा। कभी धोया गया तो कभी सुखाया गया। और जब ये फूल आखि़री मशीन से बाहर निकले तो धागे में बदल चुके थे। फिर इस धागे को करघे पर चढ़ाया गया और आखि़र में एक सुंदर कपड़ा बनकर तैयार हो गया। कपास के फूल खुश थे कि वे इस सुंदर कपड़े का हिस्सा थे।
उसके बाद यह कपड़ा दरजी के पास पहुँचा। वहाँ फिर कुछ परेशानी सहनी पड़ी इन फूलों को। क्योंकि कपड़े को कैंची से काटा गया, सुई से सिला गया और गर्म इस्त्री से दबाया गया। और बनकर तैयार हुआ एक सुंदर फ्रॉक। एक छोटी बच्ची का प्यारा-सा फ्रॉक बन जाने पर कपास के फूल बहुत ही खुश थे।
उस फ्रॉक को प्यारी-सी बच्ची ने ख़ूब पहना। जब फ्रॉक ख़राब हो गया तो उसे झाड़न बना लिया गया और अंत में उसे पुराने कपड़ों के साथ दे दिया गया।
इन पुराने कपड़ों को एक काग़ज़ की फैक्ट्री ने ख़रीद लिया। कपड़ों को बारीक पीसकर फिर तरह-तरह की मशीनों से होकर जाना पड़ा। कपास के फूलों को फिर थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन अंत में वे बन गए एक सुंदर काग़ज़। इस काग़ज को एक किताब छापने के लिए प्रयोग किया गया। एक धार्मिक पुस्तक जो मंदिर में भगवान के सामने रखी गई। तो सारी परेशानियाँ सहकर भी कपास के फूल हमेशा संतुष्ट रहते थे न, इसीलिए उन्हें मिला एक ऐसा पवित्र स्थान, जहाँ वे हमेशा के लिए रह गए। सब उन्हें आदर के साथ सिर से लगाते हैं।
कपास के फूलों को आज भी गर्व है कि वे कभी कपास के फूल थे!
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