तीसरी कक्षा के लिए दो शिक्षाप्रद कहानाँ। 2 Moral Stories for Class 3.
#1 Class 3 Stories : असफलता से मिला सबक

नोबेल पुरस्कार विजेता
कथाकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे बचपन से बड़े हंसोडे और नटखट थे। पढ़ने-लिखने में भी तेज थे। ईश्वर ने उन्हें गजब की कल्पना शक्ति भी दी थी। एक बार उनके शिक्षक ने बच्चों से कहानी लिखने को कहा। कहानी लिखने के लिए एक महीने का समय दिया। हेमिंग्वे ने सोचा, 'कहानी लिखने के लिए एक महीने की क्या जरूरत है। यह तो एकाध घंटे में ही लिखी जा सकती है।'
दिन गुजरते जा रहे थे, पर वह खेलकूद में मस्त रहे। उनकी बहन ने कई बार कहानी लिखने की याद दिलाई, लेकिन हर बार वह यही कहकर टालते रहे कि कहानी तो एक घंटे में लिख देंगे। कहानी जमा करने के दिन से ठीक पहले की रात को भी हेमिंग्वे की बहन ने उन्हें कहानी की याद दिलाई, पर उन्हें नींद आ रही थी। कहानी सुबह लिख लूंगा, सोचकर वह सो गए। सुबह उठकर उन्होंने हड़बड़ाहट में लिखना शुरू किया। कहानी तो पूरी कर ली, मग रवह उससे संतुष्ट नहीं हुए। उन्हें लग रहा था कि कहानी में भाषा और कथा-सूत्रों में सुधार की जरूरत है। समय की कमी के कारण वह चाहकर भी सुधार नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने बिना सुधारे ही अधूरे मन से कहानी शिक्षक को सौंप दी।
बहरहाल, पुरस्कार किसी और छात्र को मिला। हेमिंग्वे बहुत निराश होकर घर लौटे तो उनकी बहन ने कहा -
'हर काम अंतिम क्षणों में निपटाने की आदत के कारण ही तुम्हें पुरस्कार नहीं मिला। इस असफलता से सबक लो और हर काम नियम से समय नर करने की आदत डालो।' हेमिंग्वे ने बहन की सलाह को अपना आदर्श बना लिया। आज पूरी दुनिया उन्हें एक श्रेष्ठ रचनकार के रूप में याद करती है।
Moral : आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।
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#2 Class 3 Stories : बलवान और कमजोर
एक दिन एक दुबला-पतला छात्र विद्यालय से अपने घर जा रहा था। रास्ते में उसने देखा कि दो लड़के आपस में झगड़ रहे हैं। उनमें से बलवान लड़का कमजोर लड़के को बेंत से पीट रहा था। जैसे-तैसे हिम्मत कर उस लड़के ने बलवान लड़के से पूछ लिया - 'क्यों भाई, तुम इसे कितने बेंत लगाना चाहते हो?'
बलवान लड़का बोला - 'तुम्हें क्या मतलब?'
छात्र बोला - 'मैं तुमसे ज्यादा बलवान तो नहीं हूं जो इस कमजोर को बचाने के लिए तुमसे लड़ सकं, लेकिन इतना जरूर चाहता हूं कि इसकी पिटाई में मैं भी भागीदार बन जाऊँ।'
‘तुम्हारा मतलब क्या है?‘ बलवान लड़का समझ नहीं पाया। छात्र - 'तुम इस कमजोर लड़के के शरीर पर जितनी भी बेंत मारना चाहते हो, उससे आधी मेरी पीठ पर मार लो, इस तरह इसका आधा कष्ट मैं बाँट लूंगा।'
यह सुनकर बलवान लड़का ठगा-सा रह गया। मार खाने वाले लड़के की मुसीबत टल गई। किसी का दुख बाँटने के लिए शक्तिशाली, सामर्थ्यवान होना जरूरी नहीं होता, जैसा कि हम अक्सर दूसरों को सुनाने के लिए कहते हैं।
#3 Class 3 Stories : धन का अभिशाप
प्रभु ईसा मसीह कहा करते थे कि एक हाथी सूई के छेद से भले ही निकल जाए, लेकिन कोई धनवान स्वर्ग के द्वार तक भी नहीं पहुंच सकता। यही कारण है कि उन्होंने जीवनपर्यंत धन की लालसा नहीं रखी और न किसी धनी को अपना शिष्य बनाया।
एक बार उनके पास एक व्यक्ति आया। प्रत्यक्ष रूप से वह पेरशान-सा दिखाई दे रहा था। थोड़ी देर बाद जब वह संयत हुआ तो ईसा मसीह से बोला - ‘आपने स्वर्ग का द्वार खोल दिया है और मैं वहाँ जाना चाहता हूं, अतः आप मुझे वहाँ भेज दीजिए। मैं स्वर्ग देखने के लिए इच्छुक हूं।‘
ईसा ने पूछा - 'क्या तुम स्वर्ग में जाना चाहते हो?'
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया - 'जी हाँ!'
ईसा ने पुनः प्रश्न किया - ‘क्या सचमुच जाना चाहते हो?‘
उत्तर मिला - 'जी!'
ईसा ने कहा - 'सोच लो और सोचकर उत्तर दो।'
उस व्यक्ति ने कहा - 'जी हाँ, सोचकर ही मैंने उत्तर दिया है।'
ईसा बोले - 'अच्छा, तो अपने घर की तिजोरियों की चाबी मुझे दे दो।'
उस व्यक्ति ने कहा - 'मैं ऐसा नहीं कर सकता।'
ईसा ने पूछा - 'तुम अपने घर की चाबी मुझे क्यों नहीं दे सकते, क्या तुमने इतना धन जमा कर रखा है कि उसके चोरी हो जाने का तुम्हें भय सताने लगा?'
वह व्यक्ति बोला - 'नहीं, मुझे अपना धन चोरी हो जाने का भय नहीं, बल्कि उसके दुरूपयोग का भय है, वैसे कोई मेरी सम्मपति भी तो ले सकता है।'
ईसा बोले - 'तो जाओ, तुम स्वर्ग कदापि नहीं जा सकते क्योंकि स्वर्ग में जाने वालों में जो गुण होने चाहिए, वे तुममें नहीं है। लोभी लोगों के लिए वहां स्थान नहीं है और लोभ तुम्हारी रग-रग में समाया हुआ प्रतीत होता है।'
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