जीवन यात्रा के मार्ग में चलते हुए यात्री थक जाता है और तब विश्राम कर पुनः यात्रा के लिए जाता है। यह विराम यात्रा को पुनः सुखद बनाता है और लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। इसी प्रकार अपने दैनिक कार्यों से थक कर मनुष्य मनोरंजन के माध्यम से शांति एवं सुख कर अनुभव करता है। इसके साथ ही आज विश्व की गतिविधियों को जानने के लिए भी उसे साधन की आवश्यकता होती है। इन दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति दूरदर्शन करता है। एक ओर विश्व के सुदूर कोने में घटित मुख्य घटनाओं का जीवंत रूप अपने ही घर में बैठे हम दूरदर्शन के पर्दे पर देखते हैं तो दूसरी ओर मनोरंजन के अनेक कार्यक्रमों से स्फूर्ति प्राप्त करते हैं।
अंग्रेज़ी के शब्द टेलीविजन का हिंदी में अर्थ दूरदर्शन है, जिसका अर्थ है- दूर की वस्तुओं को देखना। रेडियो या आकाशवाणी के माध्यम से हमें केवल ध्वनि सुनाई देती है, लेकिन दूरदर्शन में ध्वनि के साथ बोलने वाले के चित्र भी दिखाई देते हैं। अतः दूरदर्शन की लोकप्रियता जन साधारण में अधिक सिद्ध हुई है। दूरदर्शन का आविष्कार इंग्लैंड के वैज्ञानिक जॉन एल. बेयर्ड ने किया। उसने जनवरी सन् 1926 ई. में इसे विश्व के सम्मुख प्रस्तुत किया। दूरदर्शन केंद्र से बहुत-से कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। इनमें से कुछ कार्यक्रमों का छायांकन बाहर किसी भी उपयुक्त स्थान में किया जा सकता है। केंद्र में अनेक प्रकार के कैमरे कार्य कर वक्ता, कलाकार तथा दृश्यों का आंकन करते हैं। इसमें 'फ्लड प्रकाश' की व्यवस्था होती है। ये कैमरे दृश्य तथा ध्वनि का विद्युत् तरंगों के रूप में प्रसारित करते हैं। जिन्हें एरियल एंटीना ग्रहण करता है और तब टेलीविजन के पर्दे पर दिखाई पड़ते हैं। ध्वनि का प्रसारण भी साथ-साथ होता रहता है और ये तरंगे भी स्पष्ट रूप से दृश्य के साथ-साथ प्रसारित होती हैं। दूरदर्शन सेवा का आरंभ सन् 1936 में बी.बी.सी. के द्वारा किया गया था। हमारे देश में प्रथम दूरदर्शन केंद्र की स्थापना दिल्ली में सन् 1951 में हुई थी तथा प्रसारण सन् 1965 से आरंभ हुआ। भारत में उपग्रह के माध्यम से प्रसारण अगस्त सन् 1975 ई. से आरंभ किया गया था।
दूरदर्शन के लाभ (Advantages of Television)
दूरदर्शन की उपयोगिता का क्षेत्र आज अंबर, अंतरिक्ष, अवनि और समुद्र की अतल गहराई तक फैल गया है। आज अंतरिक्ष की गतिविधियों, सुदूर स्थित ग्रहों का ज्ञान, कृत्रिम उपग्रहों को भेजने और नियंत्रण रखने तथा उनसे संकेत या सूचनाएँ ग्रहण करने का उत्तरदायित्व दूरदर्शन ही निभाता है। समुद्र के जल और तल में व्याप्त जीवन तथा अन्य तथ्यों का ज्ञान दूरदर्शन के पर्दे पर सीधा देखा जा सकता है।
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दूरदर्शन के आविष्कारक ने इसके संबंध में कहा था- ‘दूरदर्शन ने अपने लिए एक अतिरिक्त नेत्र दिया है और वह नेत्र बिजली का नेत्र है। जिसकी सहायता से मानव समुद्र पार भी देख सकता है।‘ वास्तव में शिक्षा के क्षेत्र में तो इससे क्रांति लाई जा सकती है। अतंरिक्ष और समुद्र के विषय में पर्दे पर विद्यार्थियों को जानकारी देने के साथ-साथ आज चिकित्सा के क्षेत्र में भी इसका उपयोग किया जाता है। शरीर के आंतरिक अंगों, हृदय, फेफड़े आदि की चीरफाड़ की क्रिया सीधी टेलीविजन के पर्दे पर नजर आती है, जिससे मेडिकल के छात्रों को लाभ होता है।
कृषि के क्षेत्र में भी अनेक नई विधियों की जानकारी का ज्ञान कृषकों को दिया जा सकता है। जापान में इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इससे किसान घर में बैठकर ही सीख सकता है तथा अनेक नई जानकारियाँ देखकर प्राप्त कर लेता है। आज मौसम के संबंध में की जाने वाली भविष्यवाणियाँ अनेक रूप में किसान के लिए सहायक होती हैं।
दूरदर्शन इतिहास के व्यक्ति और घटना तथा अनेक स्थानों को विद्यार्थियों के अतिरिक्त जन-जन को बताता है। आज भी गांधी, नेहरू तथा अतीत के अन्य महापुरूषों को वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी बोलते चलते-फिरते रूप में देख सकती है। इसी प्रकार भूगोल के ज्ञान के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। विज्ञान के अनेक प्रयोग पर्दे पर जब करते हुए दिखाई देते हैं, तो विद्यार्थी उनको सुगमता से ग्रहण कर लेते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा प्रकृति के सुंदर दृश्यों को भी हम देख सकते हैं। जिन लोगों को कभी हिमालय की ऊँची चोटियों, कश्मीर के सौंदर्य तथा अनेक तीर्थ स्थानों को देखने का अवसर नहीं मिलता, वे दूरदर्शन के माध्यम से इन्हें देख सकते हैं। विद्यार्थियों को वन्य-जीवन का, उनकी गतिविधियों का अध्ययन सुगमता से कराया जा सकता है। खेल के क्षेत्र में टेलीविज़न महत्वपूर्ण कार्य करता है। आज अमेरिका या लंदन, चीन या जापान में होने वाले विश्व स्तर के खेलों का सीधा प्रसारण किया जाता है, जिससे भविष्य के युवा खिलाड़ियों को लाभ होता है। दूरदर्शन का पर्दा आज जीवन की गतिविधियों का पर्दा बन गया है, जिसमें जीवन साकार हो उठता है।
दूरदर्शन से हानियां (Disadvantage of Television)
दूरदर्शन अनेक दोषों से भी जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों के लिए जहाँ इसके अनेक उपयोग हैं, वहीं इससे विद्यार्थियों की पढाई में व्यवधान उत्पन्न होता है। जो विद्यार्थी फिल्में आदि देखने में विशेष रूचि लेते हैं, उनका समय व्यर्थ हो जाता है। अन्य अनेक कार्यक्रम भी उन्हें आकर्षित करते हैं। फिल्मों के अश्लील पक्ष से भी उनकी कोमल बुद्धि प्रभावित होती है। दूरदर्शन के सामने लगातार घंटों बैठने से दृष्टि पर भी असर पड़ता है, जिससे अनेक बार बच्चों को परेशानी उठानी पड़ती है। अरूचिपूर्ण और धिसे-पिटे कार्यक्रमों की पुनरावृत्ति भी रूचि का सांस्कृतिक विकास नहीं करती है। अब 'केबल टी. वी.' के माध्यम से, स्टार टेलीविजन आदि भी दिखाए जाते हैं, जिसके आकर्षण में बँध कर बच्चे खेल आदि अन्य गतिविधियों में भी भाग नहीं लेते हैं।
उपसंहार
दूरदर्शन वस्तुतः एक प्रभावी माध्यम है, जिसके द्वारा जनमानस और युवा वर्ग की रूचि का परिष्कार किया जा सकता है, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक भावना का विकास किया जा सकता है। महापुरूषों तथा इतिहास के प्रसंगों से अपने अतीत को युवा पीढ़ी समझ सकेगी तथा यथार्थ को परख कर भविष्य के निर्माण की दिशा पहचान सकेगी। आज विदेशों के विकास तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का परिचय भी इस सशक्त माध्यम से मिल सकता है। राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण में एवं शिक्षण पद्धति में दूरदर्शन क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है। कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में भी अनेक उपयोगी कार्यक्रम प्रसारित किए जा सकते हैं।