'समास' का अर्थ है संक्षेप। जो भाषा संयोगात्मक होती है उसमें समास की अधिकता होती है, जैसे- संस्कृत। जो भाषा वियोगात्मक होती है उसमें समास की न्यूनता होती है जैसे- हिन्दी आदि। चूँकि हिन्दी में संस्कृत के सामासिक शब्दों का प्रयोग होता है और कुछ हिन्दी के अपने भी शब्द हैं, अतः इसकी जानकारी हिन्दी पढ़ने वाले छात्रों को होनी चाहिए।
यहाँ हम समास पर एक विस्तृत लेख दे रहे है जिसे आप में यहां क्लिक कर डाउनलोड कर सकते है-
Samas PDF
जब दो या दो से अधिक पदों को आपस में मिलाया जाता है तथा उससे जो क्रिया उत्पन्न होती है उसे समास कहते हैं। जब दो या अधिक पदों के आपसी सम्बन्ध बतलाने वाले सम्बन्धसूचक पदों या प्रत्ययों आदि का लोप करके उन पदों को मिलाकर एक शब्द बनाया जाता है, तब उसे मिलाकर बने एक शब्द को सामासिक शब्द कहते हैं। इस मिलाने की क्रिया को समास कहते हैं।
जैसे: राजपुत्र- राजा का पुत्र
More: जाने अलंकार, उसके प्रकार तथा उदाहरण
विस्तार से यहां
यहाँ राजा और पुत्र दो पद हैं, बीच की 'का' विभक्ति लुप्त है। सामासिक पदों को तोड़कर उनके बनने वाले शब्दों को अलग करना विग्रह कहलाता है।
समास में दो पद होते हैं। राजपुत्र में 'राजा' पूर्व पद है और 'पुत्र' उत्तर पद। कभी पूर्व पद की प्रधानता होती है, कभी उत्तर पद की, कभी दोनों पदों की प्रधानता होती है, कभी दोनों में कोई पद प्रधानता नहीं होती है, एक तीसरा अर्थ निकलता है।