विचार बिंदु- ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ, ग्लोगल वार्मिंग के खतरे, उनके प्रभाव, बचाव हेतु उपाय
ग्लोबल वार्मिंग इक्कीसवीं शताब्दी का सबसे बड़ा खतरा है। इसका अर्थ. पृथ्वी तप रही है। धरती पर गर्मी खतरनाक गति से बढ़ रही है। इसके कारण शताब्दियों से जमे हिमखंड पिघल रहे हैं। आकाश की छाती में छेद होने जा रहे हैं। इसके कारण सूर्य की जहरीली किरणें ओजोन गैस की परत को भेद कर धरती पर आएँगी। जो भी मनुष्यए पशु या वनस्पति उसके संपर्क में आएगी वह स्वाहा हो जाएगी। धरती पर रोग बढ़ेंगे। मौत असमय ही दस्तक देने लगेगी। ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है. मनुष्य द्वारा ऊर्जा का असीमित उपयोग। परमाणु भट्टियाँए औद्यौगिक ऊर्जाए एण्सीण् का खुला उपयोग आदि ऐसे बड़े कारण हैं जिनसे वातावरण में ऊष्मा बढ़ रही है। निरंतर कटते पेड़ और वनए पैट्रोल की अत्यधिक खपत भी इस गर्मी को बढ़ा रहे हैं। ये सब मानवीय कार्य हैं जो प्रकृति के चक्र में खलल डाल रहे हैं। इन्हें रोकने का उपाय भी मनुष्य के हाथों में है। यदि उत्पादन के लिए मानवीय श्रम का अधिक उपयोग किया जाए। मशीनों पर निर्भरता घटाई जाए। पेड़ों और वनों को संरक्षित किया जाए। लकड़ी और आवास के लिए नए विकल्प खोजे जाएँ तो यह खतरा कुछ सीमा तक कम हो सकता है। परमाणु ऊर्जा से होने वाले खतरों को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
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