विचार-बिंदु- समय लौटता नहीं, उचित समय का लाभ लेना आवश्यक, कोई उदाहरण
समय जीवन है। ईश्वर एक बार एक ही क्षण देता है और दूसरा क्षण देने से पहले उसको छीन लेता है। समय ही एक ऐसी वस्तु है जिसे खोकर पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। समय के सदुपयोग का अर्थ है- उचित अवसर पर उचित कार्य पूरा कर लेना। जो व्यक्ति उपयुक्त समय पर कार्य नहीं करता, वह समय को नष्ट करता है। एक दिन ऐसा आता है, जबकि समय उसको नष्ट कर देता है। जो छात्र पढ़ने के समय नहीं पढ़ते, वे परिणाम आने पर रोते हैं। समय रूकता नहीं है। जिसको उसका उपयोग उठाना है, उसे तैयार होकर उसके आने की अग्रिम प्रतीक्षा करनी चाहिए। जो जाति समय का सम्मान करना जानती है, वह अपनी शक्ति को कई गुना बढ़ा लेती है। यदि कार्यालय के कार्य ठीक समय पर संपन्न हो जाएँ, कर्मचारी समय के पाबंद हों तो सब कार्य सुविधा से हो सकेंगे। गाँधी जी समय के पाबंद थे। शिक्षाविद् ईश्वरचंद्र विद्यासागर के भी कई किस्से प्रसिद्ध हैं। सृष्टि का सारा चक्र समय से बँधा हुआ है। आप ही सोचिए, यदि एक भी दिन धरती अपनी धुरी पर घुमने में देरी कर जाए तो परिणाम क्या होगा? विनाश और महाविनाश। अतः हमें समय की महत्ता को समझना चाहिए।
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