सूरज और हवा एक दिन अपनी बहादुरी की कहानियाँ सुना रहे थे।
सूरज कहता था कि वह ज़्यादा ताक़तवर है और हवा कहती थी कि वह ज़्यादा शक्तिशाली है।
दोनों ने तय किया कि वे एक प्रतियोगिता करेंगे। दोनों एक बड़े से मैदान की ओर मुँह करके खड़े हो गए। उन्होंने निश्चय किया कि इस मैदान से होकर जो पहला यात्री जाएगा, उस पर ध्यान देना है। हवा और सूरज में से जो उस यात्री को कपड़े उतारने के लिए मजबूर कर देगा, वही ज़्यादा ताक़तवर होगा।
हवा ने ज़ोर से चलना शुरू किया। उस व्यक्ति के कपड़े उड़ने लगे। उसका चलना मुश्किल होने लगा। लेकिन उसके कपड़े जितना उड़ने की कोशिश करते थे, उतना ही वह उन्हें और कसकर अपने शरीर पर बाँध लेता था। यह देखकर हवा को गुस्सा आने लगा। वह इतनी ज़ोर से बही कि तुफ़ान-सा आने लगा। अपनी सुरक्षा के लिए वह व्यक्ति एक कोने में खड़ा हो गया। आखि़र हवा थककर चूर हो गई। लेकिन वह उस व्यक्ति का एक भी कपड़ा नहीं उतरवा पाई।
हवा के झोंके रूके तो वह व्यक्ति फिर से आगे बढ़ा। उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि अचानक सूरज तेज़ी से चमकने लगा था और गर्मी बढ़ने लगी थी। बात यह थी कि अब सूरज की बारी थी अपनी कोशिशि करने की।
सूरज ने न तो गुस्सा किया और न ही ज़्यादा ताक़त लगाई। बस आराम से चमकता रहा। आखि़र उस व्यक्ति को गर्मी लगने लगी। गर्मी से परेशान होकर उसने अपने कपड़े उतारे। पास में ही एक नदी बहती थी। नहाने के लिए वह नदी की ओर चला गया।
सूरज जीत गया। हवा समझ गई कि क्रोध करने से कुछ नहीं होता। बस शांत रहकर अपना काम करना चाहिए। जो काम शांत स्वभाव वाले कर सकते हैं, वही काम क्रोधी व्यक्ति के लिए कर पाना मुश्किल होता है।
बच्चों की हिंदी कहानी (संग्रह)