यह बात उस समय की है जब बादशाह अकबर और बीरबल घूमते हुए यमुना तट पर पहुंच गए। वहां कुछ मछुआरे मछली मार रहे थे। उनको
मछलियां मारते देखकर बादशाह अकबर को भी शौक हुआ, वह भी कांटा डाल मछलियां मारने लगे।
अचानक एक महत्वपूर्ण पैगाम लेकर बीरबल अकबर की बेगम साहिबा के पास जाना पड़ा। वहाँ पहुंचकर उन्हें पैगाम दिया।
तब बेगम ने बीरबल से पूछा - 'बादशाह कहां हैं?'
बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया - 'झख मार रहे हैं।'
बेगम बीरबल के इस तरह उत्तर देने के लहजे से नाराज हुईं। जब बादशाह अकबर महल को लौटे तो बेगम ने बीरबल के गुस्ताखी भरे उत्तर
देने की बात सुनाई और इस गुस्ताखी के लिए बीरबल को सजा देने का आग्रह किया। बीरबल द्वारा अपने प्रति ऐसे अपशब्द सुनकर बादशह
का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा। बेगम ने तभी जले पर और नमक छिड़क दिया - 'आपने बीरबल को इतना मुंह जो लगा रखा है, यह उसी का
नतीजा है।'
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इस पर बादशाह अकबर और भी ज्यादा भड़े उठे। तभी उन्होंने सिपाही भेजकर बीरबल को वहीं बुलवाया।
हुक्म पाते ही सिपाही गया और बीरबल को ले आया।
बीरबल के आते ही बादशाह अकबर ने क्रोध से पूछा- 'आज तुमने बेगम से क्या कहा था? बीरबल तुम्हारा दिमाग आजकल बहुत खराब होता
जा रहा है।'
बीरबल एकदम शान्त होकर बोले - 'आलीजहां! बदशाह झख मार रहे हैं, ऐसा कहने की वजह यह थी कि संस्कृत भाषा में मछली को झख
कहते हैं। यदि संस्कृत भाषा में बोलना अपराध है तो क्षमा करें।'
बीरबल के इस उत्तर से बादशाह का क्रोध तुरन्त शान्त हो गया और बेगम भी खुश हो गईं। क्योंकि इसमें बीरबल की कोई गलती नहीं थी।
बेगम और बादशाह अकबर दोनों ने समझने में गलती कर दी।
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