एक दिन बीरबल दूसरे शहर में अपने रिश्तेदारों से मिलने पहुंचे। दूर से बीरबल को आते देखकर एक दंपत्ति ने लड़ाई का नाटक करने का फैसला किया। पति ने हाथ में लकड़ी ली और उसे जमीन पर मारते हुए पत्नी को धमकाते हुए पीटने का नाटक शुरू कर दिया।
बीरबल ने जब देखा तो समझ गए कि यह सब नाटक है और वह घर के चौबारे में छिपकर बैठ गए। कुछ देर बाद उन्होंने देखा कि पति-पत्नी ने लड़ाई रोक दी और अपनी-अपनी होशियारी जताने लगे।
पति बोला - 'देखा, किस होशियारी से मैंने लकड़ी उठाकर चलाई, लेकिन तुम्हें एक भी नहीं लगी।'
पत्नी बोली - 'आपने भी देखा कि मैं कितनी चतुराई से चिल्लाई, लेकिन रोई तक नहीं।'
यह सुनकर बीरबल से न रहा गया। वह बोले -
'तुम लोगों ने देखा, मैं किस तरह चौबारे में छिप गया लेकिन मैं भी तो गया नहीं।'
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