ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है
Story on Honesty in Hindi
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Honesty |
किसी समय एक वृद्ध लकड़हारा नदी के किनारे पेड़ काट रहा था। दुर्भाग्य से उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। बेचारे लकड़हारे ने कुल्हाड़ी की खूब तलाश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। उसके पास एक पैसा भी न था, इसलिए वह दूसरी कुल्हाड़ी नहीं खरीद सकता था। असहाय होकर वह फूट-फूट कर रोने लगा।
जल के देवता वरूण ने उसका रूदन सुना। उन्हें लकड़हारे पर दया आ गई। वे लकड़हारे के पास आए और उससे पूछा, ‘तुम इतना फूट-फूट कर क्यों रो रहे हो? 'लकड़हारे ने कहा, ‘मेरी कुल्हाड़ी पानी में गिर, गई और न जाने कहां खो गई है।'
वरूण देवता ने पानी में डुबकी लगाई और एक साने की कुल्हाड़ी लेकर आ गए। वरूण देवता ने पूछा, 'क्या यह तुम्हारी है?' 'नहीं, श्रीमान्!' लकड़हारे ने रोते-रोते उत्तर दिया। देवता ने पानी में छलांग लगाई और अब चांदी की कुल्हाड़ी ले आए। 'क्या यह तुम्हारी है?‘ देवता ने पूछा। ‘मेरी कुल्हाड़ी इतनी सफेद नहीं थी।‘ उसने कहा, ‘वह काले रंग की थी। उसी के सहारे मेरी रोजी चलती थी। मैं अब असहाय हो गया हूं।'
जल के देवता ने तीसरी बार पानी में डुबकी लगाई और इस बार लकड़हारे की कुल्हाड़ी लेकर आए। लकड़हारे की आंखे अपनी कुल्हाड़ी को देख एकदम चमक उठी। वह प्रसन्नता से चिल्ला उठा, 'यह मेरी है, ऐ मेरे देवता।'
वरूण देवता लकड़हारे की ईमानदारी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसे न केवल लोहे की कुल्हाड़ी दे दी, बल्कि साने और चांदी की कुल्हाड़ियां भी दे दी।
शिक्षा: ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है।