मुहावरा वाक्यांश या कुछ पदों या शब्दों का समूह होता है जिसका लक्ष्यार्थ या प्यंग्यार्थ भाषाविशेष में लिया जाता है। यह शब्द आज ‘महाविरा', 'महावरा' आदि रूपों में लिखा मिलता है। इसके लिए अरबी लिपि को दोष दिया जाता है। जिन्हें अरबी के उच्चारण का सही ज्ञान नहीं है वे 'इधर' को 'उधर', 'अधर', 'अधुर' इत्यादि पढ़कर बड़ी नेकनीयती और इमानदारी के साथ मिनटों में इधर-उधर कर सकते हैं। अरबी कोशों में इसका सही उच्चारण 'मुहावरा' है। इसका अर्थ है बातचीत करना, एक दूसरे को जवाब देना। यहां हम
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अँग्रेजी में मुहावरे के लिए इडियम शब्द का प्रयोग होता है। अँग्रेजी में यह शब्द लैटिन और फ्रेंच से होता हुआ ग्रीक-भाषा से आया है। ग्रीक में इसे इडिओमा कहते हैं जिसका अर्थ है-
'अपना या विशेष बनाना'। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में मुहावरा के संबंध में लिखा गया है - "इडियम (1) शब्दों, व्याकरण सम्बन्धी रचनाओं, वाक्य-रचनाओं इत्यादि में वर्णन का वह ढंग जो किसी भाषा के लिए विशिष्ट हो, (2) कभी-कभी किसी विशेष भाषा की विचित्रता भी, (3) एक विभाषा (ग्रीक-इडियोमा, कोई विचित्र और व्यक्तिगत चीज)।"
संस्कृत में मुहावरों का ठीक प्रयोग नहीं मिलता। 'भाषा रहस्य' में 'वाग्योग' इसका पर्याय माना गया है। किन्तु यह शब्द कदाचित् ठीक मुहावरे के अर्थ में नहीं है। डाॅ ओम प्रकाश गुप्त ने अपने शोध प्रबंध में संस्कृत के वाङ्मय से अनेक मुहावरे चुनकर लिखे हैं पर संस्कृत में इसके पर्याय को ठीक-ठीक उन्होंने भी अपनी ओर से कुछ नहीं बताया। यद्यपि उन्होंने संस्कृत में इसके पर्याय नहीं होने के कारण पर विचार किया है। अन्त में मुहावरा मान लेने की राय दी है।
हमारे यहाँ "प्रयोगशरणः वेयाकरणः" उक्ति बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है। इसलिए हम तो मुहावरों के प्रचलित प्रयोगों के विश्लेषण और वर्गीकरण पर ही उनके लक्षण निश्चित करना अधिक उपयोगी और न्याय संगत समझते हैं। थोड़ा हेर-फेर किसी के विचार को मानने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
मुहावरों तथा लोकोक्तियों में अंतर:
प्रायः लोग मुहावरे और लोकोक्तियों को एक समझते हैं, किन्तु इन दोनों में अन्तर है-
मुहावरा वाक्य में बिल्कुल मिल जाता है, किन्तु लोकोक्तियों की अलग सत्ता रहती है। इसका कारण यह है कि अर्थ की दृष्टि से लोकोक्ति अपने आप में - सूत्र रूप में ही सही - पूर्ण होती है, किन्तु मुहावरे में यह बात नहीं होती। उसे अन्य शब्दों की आवश्यकता होती है।
अंग्रेज़ी और हिन्दी में प्रायः सर्वत्र लोकोक्ति को वाक्य और मुहावरे को खण्डवाक्य अथवा पद माना जाता है। लोकोक्ति और मुहावरे में मौलिक भेद वही है जो एक वाक्य और खण्ड-वाक्य में होता है।
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इसके प्रकार यहां जाने
वाक्य-प्रयोग में मुहावरों में कुछ हेर-फेर कर सकते हैं पर लोकोक्तियों में नहीं। 'मुँह बनाना' एक मुहावरा है - इसके काल, वचन और पुरूष इत्यादि के अनुसार भिन्न-भिन्न रूप हो सकते हैं, जैसे - मुँह बनाया, मुँह बनाते हैं, मुँह बनावेगें। मैं मुँह बनाऊँगा। उन्होंने मुँह बनाना छोड़ दिया। उसका मुँह बनता ही रहा। कहवातों में यह बात नहीं पायी जाती। 'अंधी पीसे कुत्ता खाय' एक कहावत है। यदि वाक्य में इसका कुछ रूप विकृत कर प्रयोग करेंगे तो यह लोकोक्ति नहीं कहलायगी। यदि इसे यों कहें, 'अंधी पीसती है कुत्ते खाते हैं या अंधी पीसेगी कुत्ते खायेंगे' तो ठीक नहीं होगा।
लोकोक्तियों में उद्देश्यों और विधेय का विधान रहता है, उनका अर्थ समझने के लिए अन्य साधन की आवश्यकता नहीं होती। इनके प्रतिकूल मुहावरों में चूँकि उद्देश्य और विधेय का कोई विधान नहीं होता, इसलिए जबतक किसी वाक्य में उनका प्रयोग न किया जाय, उनका अर्थ ठीक से समझ नहीं आ सकता। अर्थ की दृष्टि से लोकोक्तियाँ अपने में पूर्ण होती हैं, किन्तु मुहावरे नहीं।