एक राजा एक सुंदर महल में रहता था। उसका शयनागार भी बहुत सुंदर था। राजा की शय्या पर मंडविसर्प नाम का खटमल छुप कर रहता था। एक दिन खिड़की से एक कीड़े को भीतर आते हुए खटमल ने देखा और कहा, "अरे, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई भीतर आने की? भाग जाओ वरना राजसिपाही मार डालेंगे।" अग्निमुख नामक कीड़े ने कहा, "कृपया मुझे बाहर मत निकालिए। मैं आपका अतिथि हूं। मैने राजसी खून का स्वाद नहीं लिया है। यदि आपकी अनुमति हो तो अपनी इच्छा पूरी कर लूं।
खटमल ने पल भर सोचकर कहा, "ओ कीड़े! मेरे अतिथि हो इसलिए सद्व्यवहार कर रहा हूं। तुम राजसी खून का स्वाद ले लेना पर इस कार्य में जल्दबाजी मत करना। जब राजा गहरी नींद सो जाए तभी चखना।" भूखे कीड़े ने खटमल की बात अनसुनी करके राजा के कमरे में प्रवेश करते ही उसे काटना और खून पीना शुरू कर दिया।
क्रोधित राजा ने सेवकों को बुलाकर डांटा, "मूर्खों, दिन भर क्या करते हो? खटमल नहीं देख सकते हो?" पूरा बिस्तर छान मारो और तुरंत खटमल को मार दो।" यह सुनकर खटमल एक कोने में दुबक गया। कीड़ा उड़कर खिड़की से बाहर निकल गया। काफी देर ढूंढने के बाद सिपाहीयों को छुपा हुआ खटमल मिला। सिपाहियों ने तुरंत उसे मार डाला। अनजान को अपना मित्र बनाने के कारण खटमल को जान से हाथ धोना पड़ा।
शिक्षा (Story's Moral): अनजान से मित्रता नहीं करनी चाहिए।
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